Monday, October 21, 2024

Monthly Archives: July, 2020

हिन्दुस्तान में हिन्दी का हो रहा पतन- अतुल पाठक

जगह-जगह अंग्रेजी मीडियम स्कूल की लग गई खूब कतार हिन्द के देश में हिन्दी के संग हो रहा अत्याचार जहाँ देखों नज़र वहीं आता अंग्रेजी संस्थान पिछड़...

चलते-चलते आख़िर: जॉनी अहमद

चलते-चलते आख़िर ठहर जाना पड़ता है बहुत जी लेने के बाद मर जाना पड़ता है जो बिला वजह भटक रहे हैं कह दो उनसे रात होने से...

घड़ा हूँ मैं: त्रिवेणी कुशवाहा

मिट्टी से बना घड़ा हूँ मैं सदा रहता एक समान, थोड़ी सी ठोकर से टूटने-फूटने वाला कभी खोया नहीं अपना स्वाभिमान शीतल जल जीवन का सदा मैं पिलाता हूँ, मन...

कोरोना कर्मवीर: पुलिस ऑफिसर पवन मीणा

11 मार्च 1982 को स्वर्गीय अर्जुन लाल मीणा जेलर व माता प्रेम बाई के यहाँ जन्मे पवन मीणा महावीर नगर थाना कोटा के सर्किल...

तुम्हारी आँखों में: मुकेश चौरसिया

राह के पत्थर सभी अपनी ठोकर में थे हमसफ़र बन साथ जब तुम सफ़र में थे सारे हँसी नजारे तुम्हारी नजर में थे, इन सबसे बेखबर तुम...

उड़ीसा के बालासोर में मिला दुर्लभ पीले रंग का कछुआ

प्रकृति के रंग निराले हैं, जो हर बार मनुष्य को अचंभित कर देते हैं। हम में से लगभग सभी ने कछुए देखे होंगे, लेकिन...

भारत में 40 लाख ब्लॉगर्स पर मंडराया ब्लॉग बंद होने का खतरा, बिक रहा है blogspot.in

गूगल अपने ब्लॉगस्पॉट का भारतीय डोमेन blogspot.in को रिन्यू कराना ही भूल गया। जिसके बाद इसे दूसरी कंपनी ने खरीद लिया है और अब...

प्रेम में स्त्री: जसवीर त्यागी

प्रेम में डूबी हुई स्त्री कहती है अपने प्रिय से मेरे अलावा किसी दूसरे से किया प्रेम तो ले लूँगी तुम्हारी जान प्रेम के भाव-भाषा पाठ-पठन व्याकरण-व्याख्या सब भिन्न हैं कभी-कभी उसको जानना समझना...

ताज़िर बनना तय है: सुरेंद्र सैनी

है सफर लंबा मुसाफिर बनना तय है ये मादक आँखें काफिर बनना तय है मेरा सफर तो जैसे-तैसे कट जाएगा ये सवालिया हुस्न हाफ़िर बनना तय है तेरे...

आओ मिलकर हम-तुम: निशांत खुरपाल

आओ मिलकर हम-तुम, आज ये एक फैसला लेते हैं प्यार छोड़ देते हैं और इस बार नफ़रत को रख लेते हैं, गुनहगार तो हम दोनों ही बराबर के हैं...

रिमझिम-बूंदें: सुजाता प्रसाद

घिर-घिर आए बादल बदली ने मल्हार गाई है घन मेघों की श्यामल-श्यामल ये कजराई है रिमझिम-रिमझिम बूँदें बरसतीं झूम के बरखा बहार आई है ओढ़ के धानी चुनरिया धरती भी हर्षाई...

तुम और बरसात: सोनल ओमर

मेरे अनुरोध पर भी जब तू ना आई थी पर तेरी याद में बारिश जरूर आई थी आँखों से झर-झर बूंदे बह निकली, जैसे धरा को भी...

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