Tuesday, October 22, 2024

Monthly Archives: July, 2020

भारत से चीन आर्थिक क्षेत्र में पराजित कब होगा: पंडित अनिल पांडेय

आप इस विषय को देख कर चौक गए होंगे कि भारत से चीन पराजित कहां हो गया। अभी तो लड़ाई हुई भी नहीं और...

हाइकु- चाँद: सोनल ओमर

चेहरा तेरा चन्द्रमुख सा, उर हर्षित करे।। रूप तुम्हारा चंद्रमा की चाँदनी शीतलता दे।। बिंदिया तेरी गुलाबी आकाश में लाल चंद्रमा।। आँखों में तेरे चाँद-सितारे से हैं झिलमिलाते।। उड़ती जुल्फ़े चाँद की रोशनी में काली निशा-सी।। रजनीपति वो मेरी, मैं...

बारिश: आलोक कौशिक

कल रात जब वो आई थी घर मेरे तब होने लगी थी बेमौसम बारिश सिर्फ़ संयोग था बादलों का बरसना या थी कुदरत की वह एक साज़िश मिली...

आखिरी सहारा: त्रिवेणी कुशवाहा

जन्म मरण जीवन का चक्र घटनाओं का बहाना है, अस्त्र-शस्त्र निष्क्रिय हो तब ईश्वर आखिरी सहारा है मझधार में डूबती नाव नाविक उम्मीद न खोये, हाथ पांव चलाते ले प्रभु...

झूलों का मौसम लाया सावन: अतुल पाठक

आषाढ़ है बीता आया सावन हरियाली संग लाया सावन नारी को खूब लुभाया सावन प्रेमरूपी सागर में नहाया सावन हिना की खुशबू से महकाया सावन झूलों का मौसम लाया...

इश्क़ में नाकाम हो कर आये हैं- निशांत खुरपाल

सरे-बाज़ार हम आज, नीलाम होकर आए हैं, दुनिया जीत ली, पर इश्क़ में नाकाम हो कर आए हैं, हीरो का व्यापारी होकर, पत्थर इकट्ठे करने में...

विश्व युवा कौशल दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान: न गंवायें कुछ सीखने का मौका

विश्व युवा कौशल दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का ये दिन आपके कौशल को समर्पित है। कोरोना के इस संकट ने...

सुध मेरी तुम ले लेना- रामसेवक वर्मा

लिखकर खत मैं भेज रही हूं, मां को भी ये, दे देना जी न सकूं मैं अधिक दिनों तक, सुध मेरी तुम, ले लेना बादल छाए संकट के...

शिव शंकर- गरिमा गौतम

शिव शंकर हम तुझको पूजे बिगड़े ना कभी हमारे काम तन-मन प्रफुल्लित हो जाता जब दर्शन हो जाते नाथ तुम अजर-अमर अविनाशी भक्तों के हितकारी नाथ दौलत सारी लुटा भक्तों...

अधूरी मोहब्बत- अतुल पाठक

नशा मोहब्बत का कभी न करना अधूरी रह जाती है मोहब्बत ये सोच लेना अधूरी मोहब्बत की दास्ताँ न पूछो दिल टूट जाता है कभी किसी से...

हाइकु- विनय जैन कँचन

झूमे बदरा खिला इंद्रधनुष आई बरखा पपीहा बोले पीहू पीहू पीहू रे मनवा डोले बोझिल नैना सजना आन मिलो प्रित हिंडोले मन की हूक प्रितम परदेश बीते सावन दृग पटल छवी हो अनुपम इक तुम्हारी विनय जैन 'कंचन'

मत कर इतने जुर्म- दीपा सिंह

मत कर इतने जुर्म कि, भगवान भी माफ़ ना कर सके तुझे, तू इतना बदल गया, कि आज अपने स्वार्थ के लिए, एक जानवर को मार दिया सोचा नहीं...

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