Yearly Archives: 2020
क्यूँकि ये रिश्ता ही कुछ ऐसा है: प्रीति नेगी
कौन कहता है ख़ुदा नहीं होता
मैंने देखा है अपने ख़ुदा को
मैंने देखा है उनकी मुस्कान को
उनकी आँखों में नूर को
जिन बंद आँखो से बुनते...
निश्चितता विकल्प नहीं: पूजा झिरिवाल
'संघर्ष अथवा कोशिश तो अनिश्चितता की प्राप्ति हेतु है, जो निश्चित है, उसके लिए किया गया संघर्ष मात्र उत्सुकता और धैर्य के अभाव का...
रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार: अतुल पाठक
अटूट धागों के बंधन में
स्नेह का उमड़ रहा संसार
पूरे जग में सबसे सच्चा
है भाई-बहन का प्यार
यह शुभ दिन आज मनाते
रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार
रेशम...
दोस्ती की ग़ज़ल: सोनल ओमर
क्यों मिलते हो आजकल जरा कम सेखोये-खोये से रहते हो कहाँ गुमसुम से
माना कम बोलना मिज़ाज है हमारापर तुम तो बातें हज़ार करते थे...
रक्षाबंधन कल: शुभ मुहूर्त में सजेगी भाई की कलाई में राखी
भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का त्यौहार रक्षाबंधन कल सोमवार को पूरे देश मे हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। हालांकि देश में कोरोना वायरस के...
वही वतन दे दो: जयलाल कलेत
मुझे अपना वो मुस्कुराता
वही वतन दे दो,
मैं जैसा छोड़ा था बागवान,
मुझे वो चमन दे दो
न थी इतनी नफरतें,
न था खूनी खेल का मंजर,
मेरे हरेक...
दोस्ती: अतुल पाठक
दोस्ती जीवन का सबसे बड़ा खज़ाना है
सुख-दुख का अफ़साना है
पल-दो-पल का रिश्ता नाता नहीं दोस्ती
फर्ज़ है दोस्ती जो उम्रभर निभाना है
दोस्ती अरमान है ख़ुशी...
दोहे: कालीचरण नाग
भला बुरे का भेद तुम, क्यों करते हो यार।
मनुरंग से बना हुआ है, यह प्यारा संसार॥
यह प्यारा संसार है, जीवन का एक रंग।
मिट्टी में...
रफ़्तार पकड़ रही है अर्थव्यवस्था, जुलाई में 87,422 करोड़ हुआ जीएसटी राजस्व संग्रह
देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रफ़्तार पकड़ने लगी है। जुलाई में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 87,422 करोड़ रुपये का हुआ जिसमें सीजीएसटी 16,147 करोड़ रुपये,...
राष्ट्रीय उन्नति को बढ़ावा देना है नई शिक्षा नीति का उद्देश्य: प्रो. अनामिका
किसी भी समाज या देश के लिए शिक्षा एक बुनियादी आवश्यकता है। बिना शिक्षा को सशक्त बनाए किसी भी राष्ट्र की उन्नति की कल्पना...
मध्य प्रदेश: बिना मास्क लगाए बाहर निकलने पर कटेगा चालान, साथ में मिलेंगे दो मास्क
बिना मास्क लगाए घर के बाहर निकलने पर नियमानुसार चालान तो होगा ही, लेकिन इसके साथ ही 2 मास्क भी नि:शुल्क दिए जाएंगे। नगरीय...
आइनों के राजमहल में: मुकेश चौरसिया
कितना कुछ करने को था, कितना सा कर पाये हम
कुछ उधार की साँसे पाकर, जीवन भर इतराए हम
आइनों के राजमहल में, कल तक अपना...