Wednesday, October 30, 2024

Yearly Archives: 2020

प्यारा भाई- प्रीति चतुर्वेदी

माँ का लाडला, पिता की आंखों का है तारा बहनों का दुलारा ऐसा है मेरा भाई प्यारा जो है स्नेह से भरपूर जिससे भागती है हर तकलीफें भी...

अब जो तुम रूठते हो ना- रूची शाही

अब जो तुम रूठते हो ना तो और अधिक पीड़ा होती है हाँ बस निगाहें नहीं कहती कुछ पर हृदय की वेदना चरम पर होती है पहले तुम्हारी...

चुन लेने दो सुंदर शब्दों को- रामसेवक वर्मा

चुन लेने दो सुंदर शब्दों को, निज भाषा का पैगाम है ये मन मंदिर में उपजा है जो, कितना रोचक काम है ये शब्दों को समायोजित करना, कवियों की...

हसीन सपने- अतुल पाठक

हर कोई चाहता है देखना हसीन सपने हर किसी की ख़्वाहिश होती पूरे हों हसीन सपने रंग-बिरंगे फूलों की बहार प्यार ही प्यार ज़िन्दगी में बेशुमार मधुरस प्रेमी...

इरादा हुआ है- सुरेन्द्र सैनी

साथ रहने का इरादा हुआ है साथ सहने का इरादा हुआ है प्रेम करने का इरादा हुआ है जीने मरने का इरादा हुआ है घरौंदा बसाने का इरादा...

तुम्हारी आँखें- जसवीर त्यागी

तुम्हारी सुंदर आँखें सिर्फ़ आँखें नहीं हैं वे घर भी हैं किसी प्यार करने वाला का तुम्हारी आँखों के आशियाने तले आकर मैं दुनिया के सारे दुःख-दर्द भूल जाता हूँ जब वे प्यार...

यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का प्रश्न: नेहरू के संदर्भ में- मोहित कुमार उपाध्याय

हाल ही में भारत 8वीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया है। भारत के अलावा मैक्सिको, आयरलैंड एवं नार्वे को...

इंसानियत बिक रही है- ओनम साहू

इंसानियत बिक रही है हां, मैं बिकाऊ हूं इन भरे बाजारों में जो बिकाऊ है, बिकता है जो बिकाऊ नहीं जरूर बिकता है फैला चारों ओर स्वार्थ यहां तत्पर इंसान अपना...

गूंज: मेरे एकांत की- नेहा सिंह

मेरे पन्नों के पलटने से जो आवाज गूंज उठती थी, कभी आज वो कहीं ख़ामोश सी बंद दरवाजे में दस्तक दे रही थी। मानो...

पिता- सुजाता प्रसाद

उपस्थिति में पिता के, अरमानों के दीए जगमग-जगमग, जलते ही रहते हैं, जीवन पथ के अनगिन, गड्ढे, उथले, गहरे, आशीषी अमृत जल से, हर-पल हर- क्षण कल-कल, निश्चल भरते ही रहते हैं नमन उनकी परवरिश...

आओ करें हम सब मिलकर योग- प्रीति चतुर्वेदी

आओ करें हम सब मिलकर योग शरीर को रखें तंदरुस्त और सुयोग नित्य नियम से करें हम रोज हो जायेगा शरीर हमारा नीरोग योग से ही मिले आत्मसंतुष्टि योग...

योग: तन, मन, विचार, व्यवहार की अंतर्यात्रा- सुजाता प्रसाद

भारतीय संस्कृति में हमेशा प्रक्रिया पर जोर दिया गया है। अगर हम प्रक्रिया को ठीक तरीके से करेंगे तो सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। इसलिए हमें...

Most Read