Yearly Archives: 2020
आँख दिखाने की कोशिश मत कर- मनोज शाह
हमारी सब्र की इंतहा मत ले
हम मरकर भी मारना जानते हैं
हम हमेशा शांति समर्पण देश है
कोई उकसाए तो मारना भी जानते हैं
बासठ वाली गलतफहमियां
बार-बार ...
यूं बिन बताए जाना- प्रीति चतुर्वेदी
जाता नहीं कोई हमें यूं छोड़कर
गया होगा ज़िन्दगी से वो हारकर
टूटा होगा उसका दिल अंदर तक
रोया होगा वो अकेले रातभर
इसलिए चला गया वो मुंह...
आफतों से भरा यह वर्ष- पूजा पनेसर
आफतों से भरा यह वर्ष
ना कम था किसी नरक से,
जिसे मानव ने बोया
और कुदरत ने पिरोया,
कहर ना रहा सीमित,
ना बच्चा देखा ना बूढ़ा
लिया चपेट...
बदलता स्वरूप इंसान- त्रिवेणी कुशवाहा
ईश्वर ने इंसान बनाया, वजूद भूल रहा है,
इंसान अपना रंग रूप स्वरूप बदल रहा है।
छिन्न भिन्न निज अंग को कर रहा कुरूप,
तोड़ रहा दांत कोई तो कोई बनता अनूप।
छेदता...
रानी लक्ष्मीबाई- सोनल ओमर
छबीली का बचपन लिखूं
मनु का अल्लहड़पन लिखूं
आजादी की जो मशाल बनी
उस लक्ष्मी का जीवन लिखूं
लक्ष्मी की ललकार लिखूं
नारी की तलवार लिखूं
सबसे पहले लगाई हुई
आजादी...
माँ एक अनमोल तोहफा- राजन कुमार
जिन्हें माँ की याद नहीं आती
उन्हें माँ की जगह किसकी याद आती है?
जिन्हें बहन की याद नहीं आती
उन्हें बहन की जगह किसकी याद आती...
ज़िन्दगी की बेबाक सच्चाई- अतुल पाठक
दलदल इंसान को बुरी तरह फँसा देती है, जिससे निकल पाना शायद मुश्किल सा हो जाता है। चाहें ये आम इंसान की ज़िन्दगी की...
अपने बोध और बुद्धिमत्ता को बनाए रखें- सुजाता प्रसाद
सच ही कहा गया है कि कुछ भी असंभव नहीं होता है। चाहे वह जीवन का उजला पक्ष हो या काला पक्ष, इस पर...
वो छुअन ही नशा है- रूची शाही
वो जो चूम के लबों सेपीठ पर लिख गए थेवो छुअन ही नशा हैवो मुहब्बत शराब है
तुम हँस के मिलो सबसेसब हँस के मिले...
ज़िन्दगी- अतुल पाठक
ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव के आते कई पड़ाव
सुख-दुख इक दूजे के पूरक जैसे धूप-छाँव
वक़्त का पहिया चलता ही रहता
क्षण-क्षण उसका बदलता रहता
क्या पता कब तक...
कितना आसान है- जॉनी अहमद
कितना आसान है दुनिया में दिखावा करना
किसी की ख़ुदकुशी पे कोई भी दावा करना
जब तलक़ ज़िन्दा थे न था कोई रिश्ता उनसे
सबको यहाँ आता...
आंखें खुली हैं वक़्त की- पुष्पेन्द्र सिंह
वो चल रहा था बस यूं ही अपने हिसाब से
आंखें खुली हैं वक़्त की मेरे ज़वाब से
जितना यह मेरी ज़िंदगी मुझको सिखा गई
उतना अभी...