Yearly Archives: 2020
सरहद के उस पार- अरुण कुमार
रात को सोते समय मेरे मन में ख्याल आया,
नींद की शुरुआत में ही एक ख्वाब आया
कोई रिश्ता जरूर है जो टूट जाता बार-बार
अधखुली पलकों...
पृथ्वी पर रहकर भी- जयलाल कलेत
वो उड़ रहा था आसमान पर,
रब को ये मंजूर न था,
पद के घमंड में हमेशा,
इंसानियत से दूर था
ढाया जुल्म कमजोरों पर,
क्योंकि, सामने वाला मजबूर...
मजदूर, किसान है नाम रे- आशुतोष आशु
है भारत की आत्मा ये
पहने ईमान की ताज़ है
मजबूरी से है नाता इनका
मजदूर, किसान है नाम रे
पसीने से हैं सींचते अपने
भारत के सोने का...
मोटर वाहन दस्तावेजों की वैधता 30 सितम्बर तक बढ़ाई गई
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मोटर वाहन दस्तावेजों की वैधता तिथि को और बढ़ाकर इस वर्ष सितंबर तक...
अब एसएमएस के जरिए दाखिल कर सकेंगे शून्य जीएसटी रिटर्न, सरकार ने शुरू की सुविधा
करदाताओं को सहूलियत देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने आज से एसएमएस के जरिए जीएसटीआर-3बी फॉर्म में& शून्य जीएसटी...
हमारे देश की नींव हैं मज़दूर- प्रीति चतुर्वेदी
हमारे देश की नींव हैं मज़दूर, जो जा रहे है शहरों से दूरकर दिया गया जिनका हर सपना चकनाचूरजिनपर न कोई छाया है और...
अच्छे दिन और कोरोना- निशांत खुरपाल
हाँ, हम इस मुसीबत से भी निकल जाएँगेबस तुम साथ रहना और साथ देनादेखना, हमारे भी अच्छे दिन ज़रूर आएँगेखिलेंगे फूल, उड़ेंगी तितलियाँ, करेंगे...
मानवता शर्मसार हुई- गरिमा गौतम
इंसान नहीं हैवान थाजो ऐसा कुकृत्य कियाएक बेजुबान प्राणी कोफटाखे से मार दियाकितनी तड़पी होगीजब मुँह में आग लगी होगीतपिश आग की बुझानेनीर नदी...
जीवन के हर पथ पर- त्रिवेणी कुशवाहा
जन्म मरण जीवन के संग हैं
नचाये एक मदारी,
मरा नहीं वही जो
खतरों का बना खिलाड़ी
जीवन के हर पथ पर
जोखिम उठानें पड़तें हैं,
काटों के पथ पर...
आशिक़ी हूं मैं किसी और की- आलोक कौशिक
आशिक़ी हूं मैं किसी और की, कह गई
छत से पहले ही दीवार ढह गई
जब से सुलझाया उसके गेसुओं को
ज़िंदगी मेरी उलझ कर रह गई
जो...
सो गए नभ के सितारे- रकमिश सुल्तानपुरी
बादलों की
ओढ़ चादर
सो गए नभ के सितारे
अनवरत बूंदों
की रिमझिम
वृक्ष-सम्पुट-शोर को सुन
घोसलों से
चोंच भरकर
अम्बु छकते हैं चिरंगुन
घन लिए
घनघोर बारिस
आर्द्र करते हैं धरा को ,
हो रही...
जलवायु परिवर्तन: एक वैश्विक चुनौती- मोहित कुमार उपाध्याय
पर्यावरण संरक्षण के प्रति चिंता प्रकट करते हुए महात्मा गांधी ने कहा हैं कि पृथ्वी प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा कर सकती हैं...