Monday, October 28, 2024

Yearly Archives: 2020

अब नहीं कोई बहाना: राम सेवक वर्मा

महामारी में सजग रहो अब, अपना परिवार बचाना है कोरोना है खतरनाक ये, इसको मार भगाना है लॉक डाउन का पालन करके, साथ निभाओ प्रशासन का सोशल डिस्टेंश में रहो...

तस्वीर- जयलाल कलेत

खामियों के भंवर में डुबकर, नसीहत देने चला है वो खुद को समझकर फरिश्ता, मुकद्दर बनने चला है चंद राहत की बदौलत उसने, तकदीर बदलने चला है एक बुंद आंसू...

प्रेम, त्याग तपस्या है: गरिमा गौतम

प्रेम न रीति है प्रेम न रिवाज धर्मों से परे जातियों से अलग ये एक अनछुआ अहसास है प्रेम विश्वास है प्रेम धड़कन है प्रेम भक्ति है प्रेम...

बुंदेलखंड की सुबह- मनीष कुमार यादव

ये सूखे शजर की शाखों पे उगते सूरज ये बादलों के किनारे जो सूरज की रौशनी से चाँदी हुए हैं इनकी ज़मीन से ऊंचाई और बुंदेलखंड की प्यास की गहराई समान ही तो...

चलो अच्छा हुआ: सुजाता प्रसाद

दिल वालों की दिल्ली ना जाने कब और कैसे इतनी बेदिल हो गई। ना जाने कौन यहां नफरतों के दरीचे बिछा गया और हवा...

ये जो तेरा शहर है- सौरव मुंडा

कुकुरमुत्ते से पनपे, ऊंचे नीचे इमारत, और छोटे बड़े मकानों वाला, ये जो तेरा शहर है। मैं जब भी आता, पहाड़ियों के रास्ते आता। कुछ घुमावदार मोड़, और सीधी सड़कों से...

कैसे बनेगा स्वदेशी से आत्मनिर्भर भारत: मोहित कुमार उपाध्याय

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में जो परिवर्तन आया वह उन सभी परिवर्तनों से भिन्न था, जो इससे पहले देखने को मिल...

कोरोना पॉजिटिव का सड़कवासी जीवों के जीवन पर पॉजिटिव असर: मनु शर्मा

इस समय सारा विश्व ही कोरोना से ग्रसित है और ऐसे में कोई भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव सुनकर ख़ौफ खा जाता है। आज कोई...

किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करेगी सरकार- वित्तमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई को कोरोना वायरस से आई अर्थव्यवस्था में मंदी को दूर करने के साथ 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष...

नारी- प्रीति वर्मा

कभी बेटी, कभी बहन, कभी माँ, कभी दादी, कभी नानी हैं नारी के रूप अनेक हर रिश्ते को अपनाती है हर रिश्ते को निभाती है ऐसी है यह नारी कभी...

याद करें वो दिन- डॉ अपराजिता नंदी

हम सब धरती माँ की संतान हम सब हैं आपस में सगे भाई फिर हमारे बीच में किसने नफरत की आग लगाई।। तेरा धर्म क्या मेरा धर्म क्या जब...

जंगल का फूल- मुकेश चौरसिया

एक फूल खिला था जंगल में, अनदेखा सा, अनचीन्हा सा उसे जगाया था सूरज ने, दिन भर उसके संग बतियाया रात चाँद उसके आँगन में, तारों के संग आ,...

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