Friday, October 25, 2024

Yearly Archives: 2020

प्रेम है जताइये- बलराम निगम

प्रेम है जताइये बात मत छिपाइये जब हृदय द्रवित हुआ मौन अंकुरित हुआ भाव मन जगे यहाँ, प्रेम प्रस्फुटित हुआ दो कदम बढ़ाइये साथ अब निभाइये सावनी फुहार है हर तरफ बहार है प्रेम...

किसी के चेहरे की मुस्कान बनकर देखिए

किसी ने मुझसे पूछा- तुम इतने व्यस्त होते हुए भी, इतने पोस्ट करने के लिए, टाईम कैसे निकाल लेते हो? कितने पैसे मिलते हैं? तुम्हें...

अस्तित्व- विभा परमार

प्रेम की सड़कें ज़रूरी नहीं कि सीधी और सपाट ही हो, कभी कभी सीधी और सपाट सड़कें दिखने में ख़ूबसूरत ज़रूर होती हैं मगर अंदर से होतीं हैं भयावह जो...

चैत्र नवरात्रि महाष्टमी- माँ महागौरी की कृपा से दूर होते हैं कष्ट

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी को माँ महागौरी की आराधना-उपासना का विधान है। माँ की...

तरक्की- जसवीर त्यागी

तरक्की के विमान में बैठकर बच्चे विहंसते हुए विदेश चले गये हँसता खिलखिलाता हुआ घर उदास अकेला मकान रह गया परिवार के नाम पर दो बूढ़े-बुढ़िया ही एक-दूसरे का सूना...

अपने-पराए- शिप्रा खरे शुक्ला

बहुत अपने होते हैं दर्द किसी कारण मिलें अपने ही बनकर रग रग में उतर जाते हैं सीने में दफन हो जाते हैं परायी तो मुस्कुराहटे हैं कितनी ही अपनी...

चाइना बाजार- वीरेन्द्र तोमर

धोखे तुमसे हमने खाये सन इकसठ हम भूल ना पाये ओछी हरकत फिर कर डाली ऐसी फैला दी महामारी अब छप्पन इंच करेगा कमाल होगा ड्रेगन अब बुरा हाल मोटा...

जीत में तो सारी दुनिया साथ देती है, पर हार पर क्यों नहीं?

हमेशा ऐसे लोगों को तलाशिए जो आपको गिरने पर उठाना जानते हों, जो जीत में तो आपका साथ देते ही हों, पर आपकी हार...

बाल-ग़ज़ल- डॉ भावना

बाल-ग़ज़ल (मेरे घर के सदस्यों की तरह रहने वाला खरगोश कृष्णा-श्वेता को समर्पित) बहुत चंचल है ये खरहा अजब करतब दिखाता है जो चुप रहके भी...

तुम आसमान देख लो- संजय अश्क़

गुटका, तंबाकु, सिगरेट मे ही खुश इंसान देख लो जगह-जगह खुली हुई जहर की दुकान देख लो नशे के चक्कर में लोग घर से सडको पर...

घर वास, कोरोना हताश- मनोज शाह

घर वास कोरोना हताश छूट गई पीछे जीने की आस ये मजबूरी के मुसाफिर नमाजी है ना क़ाफिर आजाद हिंदुस्तान के, सबसे अभागी तस्वीर पैरों में छाले पड़ गए है, गठरी...

सहज युगबोध- शशि पुरवार

भीड़ में गुम हो गई हैं भागती परछाइयाँ साथ मेरे चल रहीं खामोश सी तनहाइयाँ वक़्त की इन तकलियों पर धूप सी है जिंदगी इक खुशी की चाह में, हर रात...

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