Thursday, October 24, 2024

Yearly Archives: 2020

सुकून की तलाश- सुनील माहेश्वरी

जिदंगी में सिर्फ सुकून ढूँढ़िये। जरूरतें, ज़िम्मेदारियाँ और ख्वाहिशें कभी खत्म नहीं होंगी। दुख-सुख तो जिदंगी का हिस्सा है। चाहे आप नौकरी करते हों...

पुणे के आघारकर अनुसंधान संस्‍थान ने विकसित की रस से भरपूर अंगूर की उत्‍कृष्‍ट किस्‍म

पुणे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्‍थान ने रस से भरपूर अंगूर की नयी किस्‍म विकसित की है। पुणे के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के...

देश में अब तक कोविड-19 के 60 पॉजिटिव मामले आए सामने

देश में अब तक कोविड-19 के 60 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। जिनमें कल से 10 नए मामलों की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है, इनमें...

भाजपा ने जारी की राज्यसभा उम्मीदवारों की सूची, सिंधिया को मप्र से मिला टिकट

भारतीय जनता पार्टी ने 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनावों के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है। सूची में 11 उम्मीदवारों...

भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, कहा अब कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस नहीं रही

कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी...

एसबीआई ने दी करोड़ों बचत खाता ग्राहकों को सौगात, पढ़ें पूरी बात

भारतीय स्टेट बैंक ने अपने करोड़ों बचत खाता ग्राहकों को सौग़ात देते हुए बचत खाते से मिनि‍मम बैलेंस चार्ज पूरी तरह से खत्‍म कर...

कौन कहता है- डाॅ भावना

कौन कहता है कि हर हाल में कहना बेहतर वक्त जब ठीक नहीं मौन ही रहना बेहतर पीठ आंधी की तरफ करके जो मुंह की खायी सीना...

तीसरी आँख- अंजना वर्मा

याद आती रहती हैं वे अनगिनत बच्चियाँ, लड़कियाँ जो हो चुकी दरिंदगी का शिकार नहीं, दरिंदगी नहींं कोई और शब्द चाहिए उनके जुल्म को व्यक्त करने के लिए इससे भारी...

निकले सारे झूठे सपने- जयलाल कलेत

भरपूर कोशिश किए हमने पर माने न रुठे अपने ऊँचे ख्वाब क्यों देखा हमने निकले सारे झूठे सपने बस दिल्लगी ही किए हमने पर न समझे मेरे अपने मकसद न...

एक उजड़ा हुआ शहर- रजनी शाह

एक उजड़ा हुआ शहर है चरचराती जमीन है धुंधला-धुंधला आकाश है छितरा-छितरा यहाँ-वहाँ बसे हुए लोग हैं चलते जा रहे कब से, हँसी जो गुमनाम है लक्ष्य जो भयभीत है कोई नहीं जानता क्यों चल रहे हैं कोई...

मधु मुस्कान बखेरी होगी- डॉ उमेश कुमार राठी

मधु मुस्कान बखेरी होगी दिल में मित्र बसाया होगा कर श्रृंगार मिलन बेला में मोंगर इत्र लगाया होगा चुन के शब्द पिरोये होंगे भाव सँजोये होंगे निर्मल जब अनुभूति उड़ेली...

सिर्फ इतना ही बदली हूँ मैं माँ- शुभा मिश्रा

बिजली की चमक, बादल की गरज से डरकर तुमसे लिपट जाने वाली आज बारिश में भीगते हुये भी अपने काम पर चली जाती है सिर्फ इतना ही बदली...

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