Yearly Archives: 2020
मेरे होने के लिए- शुचिता श्रीवास्तव
शब्द आते जाते रहे हमेशा
तुम्हारे पास से होकर मुझ तक
तुम्हारा होना ही काफी था
मेरे होने के लिए
रेल की पटरियों पर रख दिए गए जरा...
मधुमास की बेला- राजीव कुमार झा
नया सौंदर्य और भी आपका
बादल की ओट में
चाँद थोड़ा छिप गया
इस अँधेरे में चाँदनी
पेड़ की ओट में जाकर खड़ी है
रात का चेहरा
कोई झरना गिरता
कितना...
शायर नए हैं हम- जया पाटिल
हम पोटली हालातों की सर पे उठाए हैं
शायर नए हैं हम नयी उम्मीद लाए हैं
लोगों से क्या लेना मुझे लोगों से क्या मतलब
लोगों को...
उलझन मन की- राधा श्रोत्रिय
सवाल गणित के हो या जिंदगी के,
अक्सर परेशान करते हैं!
उससे भी ज्यादा परेशान तब करते हैं,
जब सवाल न हों या तब,
जब जवाब हम जानते...
मेरी उलझनों- डॉ ऋतु त्यागी
मेरी उलझनों
रुई के गोले सी हो जाओ
कोई हवा आए
जो तुम्हें उड़ा कर दूर ले जाए
या तुम मेरी आँखों की नींद बन जाओ
कोई रात आए
जो...
मैं तुम्हें देख कर- सुमन ढींगरा दुग्गल
ख़ुद में ही डूबती उभरती हूँ
जाने किस को तलाश करती हूँ
दिल में जीने की आरज़ू ले कर
मैं कई बार रोज़ मरती हूँ
भर न जाए...
वो मेरे साथ- अलका जैन
वो मेरे साथ जब से चल रहा है
सफ़र महका हुआ पल-पल रहा है
हर इक शै पूछती है तुम कहाँ हो,
मैं तन्हा हूँ ये सबको...
गज़लों पे मेरी आप- आशीष दशोत्तर
हालात बड़े सख्त हैं और वक्त कड़ा है
हर कोई यहां देखिए बस ज़िद पे अड़ा है
मंज़िल पे भला कौन इसे याद रखेगा
सदियों से यहीं...
कोई जुगनू- डॉ भावना
मुझे टुकड़ों में जब भी बांटता है
कई वादे भी उसमें टांकता है
तुम्हारी मन की सीढ़ी क्या चढूं मैं
मेरा किरदार मुझको डांटता है
करेगा अपनी मन...
गुलाबी-गुलाबी सुबह- शशांक रावत शिखर
गुलाबी-गुलाबी सुबह हो गयी है
निशा सो गई है, सुबह हो गयी है
जगो तुम, मुझे अपने दिल से लगाओ
जख्मो पे मेरे मरहम लगाओ
तुम बिन अधूरा...
तेरा सपना- मनोज कुमार
आँखों ने भी धोखा दे दिया
तेरा सपना देखने से मना कर दिया
साँसे भी रुख्सत सी हो चली
दिल के साथ धड़कने से मना कर दिया
रूह...
छुपा है चाँद क्यों- रोहताश वर्मा
झरोखे पर अब वो चाँद आता नहीं
न जाने क्यों अब वो मुस्काता नहीं
छुपा के ग़म झूठलाता है सब को,
हकीकत क्या कुछ भी गाता नहीं
खुले...