Wednesday, October 23, 2024

Yearly Archives: 2020

दिल्ली ये दिल्ली- आशा दिनकर

आज कैसे कसक रही है, तड़प रही है दिल्ली कभी यहाँ से कभी वहाँ से सुलग रही है दिल्ली अमन चैन खो रहा दिलों से, साँसें...

वर्जनाएं- विनीता राहुरीकर

तोड़ दी हैं मैंने, हाँ मैंने सारी वर्जनाएं जो अब तक बौना बना रहीं थी मुझे मेरे व्यक्तित्व की जड़ें काटकर उखाड़ दिया है वो फर्श अपने पैरों के...

कुछ तो कमी है- अनामिका वैश्य आईना

बेवजह तो नहीं नैनों में नमी है मेरी चाहतों में कुछ तो कमी है छूती नहीं तेरे एहसासों की गर्मी दर्मियाँ अपने ग़मे बर्फ़ ज़मी है धीरे-धीरे बदले...

आपकी खूबसूरती- राजीव कुमार

आपकी खूबसूरती चाँदनी ने क्या कहा देखकर तुमको भोर में रात की किस नदी में नहाया देर तक सोचता शाम की ओट में झिलमिल खड़ा सूरज उसी झरने की धवल धार...

आता है नहीं मधुमास अब- अंजना वर्मा

कौन कहता है कि आता है नहीं मधुमास अब? गाँव में फैली है खुशबू, महकती है साँस अब। शीत की चादर हटाकर, पेड़ अब तो जग...

मासूमियत उनकी- मनोज कुमार

मासूमियत उनकी जरा सी देखिये, बिना बोले ही दिल में घर कर लिया मुलाकात तो हुई न एक बार कभी, फिर भी हमने उनको हमसफ़र कर लिया जान...

आजमाना कैसा- रकमिश सुल्तानपुरी

हाल-ए-दिल तू ज़रा सुन अब छुपाना कैसा ये मुहब्बत है, मुहब्बत में आज़माना कैसा टूट कर सीखा है ज़माने से दिल लगाना मैंने हारकर सीखा है ख़ुद...

सागर बोला सरिता से- वीरेन्द्र तोमर

सागर बोला सरिता से तू कचरा ढ़ो-ढ़ो लाती है हड्डी, लकड़ी और सड़े मांस की बदबू जिसमे आती है गंदा पानी निर्मल करने का क्या ठेका मैंने ले रखा तू...

बरस रहो रंग- राम सेवक वर्मा

उडत गुलाल बरस रहो रंग। खेलैं होली सखा सब संग।। बना के टोली करैं ठिठोली, मारैं पिचकारी भर-भर रंग। ढोल मंजीरा पै ताल लगावैं, खावैं फोड़-फोड़ के भंग। ठुमक-ठुमक के...

खिल पलाश बसंत बहके- चंद्र विजय प्रसाद चंदन

रँग गए आज गुलाल, मिट गए मन के मलाल पर देखा न मैंने कोई, आई हो यौवन सम्हाल झाँक रहा स्मृतियों से, है दृश्य अद्भुत कमाल सरर-सरर...

फरवरी में हुआ 1,05,366 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व संग्रह

फरवरी 2020 में कुल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,05,366 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से सीजीएसटी 20,569 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 27,348 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 48,503 करोड़...

ज़िन्दगी- रुपाली दळवी

ज़िन्दगी तेरे तोहफे भी अजीब हैं जितनी तू उलझी हुई पहेली हैं उतनी ही तू खूबसूरत सी सहेली हैं दुख के दामन छोड़कर भागने भी नहीं देती सुख...

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