Wednesday, October 23, 2024

Yearly Archives: 2020

सफर- राधेश्याम तिवारी

आपके वातानुकूलित रिजर्वेशन बोगी के ठीक पीछे एक साधारण बोगी का यात्री हूँ मैं मेरे लिए लेटने या बैठने का नहीं है कोई निश्चित स्थान मेरी पहचान रिजर्वेशन चार्ट में कहीं नहीं...

ये दुनिया है- अनुश्री दुबे

अब ज़ख्मों की दवा कहां से लाऊं। सच बोले वो ज़ुबां कहां से लाऊं। बुराई का जहर घुल गया फिजा में; अच्छाई का धुंआ कहां से लाऊं। ये...

मौसम की चेतावनी- लीलाधर मंडलोई

कश्मीर में 370 की अप्रत्याशित बारिश के साथ बदल गया है आस-पास के इलाकों का मौसम असहिष्णु पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर पूर्व सहित घेर लिया है पठारों...

मुहब्बत की राह में- आशीष दशोत्तर

चल तो रही है साथ में परछाइयां तेरी लेकिन कभी न छू सकी ऊंचाइयां तेरी सह तो रहा है हर कोई मनमानियां तेरी तुझ पर ही ज़ुल्म...

आओ प्रकृति परायण बन जाएँ- रश्मि अग्रवाल

आओ प्रकृति परायण बन जाएँ मानव ने एक दुनिया, कृत्रिम बना ली। प्रकृति के विपरीत, अनचाहे परिवर्तन, नए-नए परिवेश। सीमेंट के रास्ते, गगनचुम्बी इमारतें, ई-कचरा, तेज़ाबी वर्षा, जहरीली खाद, प्रदूषित जल, प्लास्टिक का बोलबाला रासायनिक बहिस्राव विकास और...

आज फिर- राजीव कुमार

आज फिर कितना अकेला रोज अब किस धूप में तपता शाम को दीपक जलाता प्रेम का मंदिर किस एकांत में सबको बुलाता सुबह की प्रार्थना के फूल रात्रि में किस...

ज़िन्दगी यूँ दर्द के आग़ोश में- रकमिश सुल्तानपुरी

ज़िन्दगी यूँ दर्द के आग़ोश में सहमी पड़ी है ख़्वाहिशें सब ढह गई की आरजू बिखरी पड़ी है एक पत्त्ते सा तपिस में ख़ाक होता रह...

जिस पल- डॉ उमेश कुमार राठी

जिस पल याद गुहार करेगी पागल मन बहला लेंगे बादल बूँद फुहार बनेगी आकुल तन नहला लेंगे साथ तुम्हारा हम माँगे थे लेकिन वो भी मिला नहीं कह देंगे हम...

एनएसजी कमांडो भारत के नागरिकों के लिए सुरक्षा की भावना का पर्याय बन चुके हैं- गृह मंत्री

कोलकाता में आज राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के रीजनल हब के परिसर के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह...

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में प्रतिष्ठित महिलाओं के नाम पर 11 चेयर्स की घोषणा

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर कल सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में युवा महिलाओं को प्रोत्‍साहन, महिला सशक्तिकरण और युवा महिला अनुसंधानकर्ताओं को उचित...

माँ- नरेश शांडिल्य

मंदिर की देहरी भजन गाती मंडली दाना चुगती चिड़िया तुलसी का बिरवा पीपल का पेड़ छड़ी वॉकर अस्पताल का स्ट्रेचर... जब-जब भी दिखते हैं याद आने लगती है- माँ... सब छोड़ गई माँ- अपना हॉल सा...

तुम- प्रीति असीम शर्मा

सारी कायनात, तुम में सिमट जाती है। मैं आसमां देखता हूँ मुझे तू नजर आती है। सारी कायनात, तुम नजर आती है। वैसाख के खेतों की, रंगत में, तेरा चेहरा पाता हूँ तेरी...

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