Yearly Archives: 2020
बताओ तो भला आख़िर- शुचि भवि
लिया है आपने क्यों बेसबब बिन काम का पैसा
हराम आमेज़ हो जायेगा ये आराम का पैसा
जो सड़ता है यहाँ बैंकों में मुर्दा लाश की...
कोशिशें कमाल करती हैं- सुनील माहेश्वरी
यारो कोशिशें भी कमाल करती हैं
यूं ही नहीं मिल जाती मंज़िल
सिर्फ एक पल भर सोचने से
इंसान की कोशिशें भी कमाल करती हैं
यूं ही नहीं...
बेटी- राजेन्द्र प्रसाद
जाना था जिसको अभी, पढ़ने को स्कूल
उड़ा रही है गेह की, बेटी देखो धूल
जब घर में होती कभी, उसकी माँ बीमार
चूल्हे चौके का सभी,...
ख़ामोशियों ने ख़त लिखा- रकमिश सुल्तानपुरी
देख दिल पर ज़ख्म गहरा हसरतों ने ख़त लिखा
आज फिर मुझको मेरी तन्हाइयों ने ख़त लिखा
उम्र गुज़री तड़पती यूँ करवटों में रात भर
दर्द से...
यादें- राजीव कुमार
तुम संगीत हो
यौवन की झंकार
मौसम ने पहना
धूप का हार
तुमने देखा इसी राह में
कोई गीत सुनायी देता
संध्या का स्वर
कहाँ सिमटता
बेहद सुंदर यादें
वे दिन बने वसंत...
दर्द सारी रात जागा- रकमिश सुल्तानपुरी
सो गई
भूखी थकाने
दर्द सारी रात जागा
खेत खलिहानों से
लौटी
कँपकपाती बदनसीबी
छप्परों में
जा सिसकती
ओढ़ रजनी को गरीबी
भूख ले
आयी कटोरे
में भरे पर्याप्त आंसू
मौन चुप्पी
तोड़ता है
ले नया करवट अभागा
छोड़...
जब मुझे पुकारा- राजीव कुमार झा
कोलाहल से भरे नगर में
यह पुलकित मन क्यों खूब अकेला
संग तुम्हारे सागर तट पर
अरुणिम संध्या की आहत वेला
फिर चली गयी हो
कहाँ छोड़कर देख रहे
सारे...
सारी उम्र तेरे लिए- मनोज कुमार
मैं गुजरा न जिस मोड़ पर
उसके छोर पर तुम इंतेजार करते रहे
राह भटका मैं सारी उम्र तेरे लिए
तुम इंतेज़ार किसका करते रहे
किस मुँह से...
शज़र भी नहीं है- डॉ उमेश कुमार राठी
बसर हो सके वो शिखर भी नहीं है
डगर में पखेरू शज़र भी नहीं है
दिवाकर विभा राशि लगती मनोहर
सहर से सलौना पहर भी नहीं है
सदा...
उसे फांसी दो- राजन गुप्ता जिगर
तुम नहीं अकेली आज बे-आबरू हुई
क्या यहां मानवता आज बेजार नहीं,
जिसकी अस्मत लुटी सरेआम आज
क्या वह इंसाफ की हकदार नहीं
फांसी दो, उसे फांसी दो
चीरहरण...
आज के साहित्य को पढ़ने में बौद्धिक संतुष्टि नहीं मिलती- कथाकार-कवयित्री विनीता राहुरीकर से राजीव कुमार झा की बातचीत
प्रश्न- लेखन की शुरुवात कब से हुई?
विनीता राहुरीकर- तारीख तो याद नहीं कि कब पहली रचना लिखी लेकिन इतना याद है कि तब माँ-पिताजी...
अब मेरे दिल को- रकमिश सुल्तानपुरी
अब मेरे दिल को गुलज़ार सही रहने दो
जब तुमको प्यार है तो प्यार सही रहने दो
आओ क़रीब ज़रा बाहों में, क्या रख्खा
दुनिया में, छोड़ो,...