पंकज स्वामी
(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के गठन की बात से जबलपुर व महाकोशल के खिलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर के खेल इतिहास सिरीज में आप तीन किश्त पढ़ चुके हैं। यह चौथी किश्त है। प्रयास होगा कि सभी खेलों का इतिहास यहां प्रस्तुत हो पाए।)
पिछले से जारी……
सुरेश मेहता-महिला हॉकी की बात करने से पूर्व पुरूष हॉकी में जबलपुर के सुरेश मेहता के बारे में जान लीजिए। आस्ट्रेलिया के डब्ल्यू.ए. हॉकी एसोसिएशन ने 1979 में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता की मेजबानी की। इस प्रतियोगिता का नाम एसांडा विश्व हॉकी टूर्नामेंट (The Esanda World Hockey Tournament) था। यह टूर्नामेंट 20 से 29 अप्रैल 1979 तक ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में कॉमनवेल्थ हॉकी स्टेडियम में खेला गया था। इस टूर्नामेंट में मेजबान आस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, नीदरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, केन्या, मलेशिया, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान के साथ भारत ने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में जबलपुर के सुरेश मेहता ने भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था। वे लेफ्ट इन की पोजीशन में खेलते थे और उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल का प्रदर्शन किया।
अशोक कुमार की कप्तानी वाली भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में पांचवें स्थान पर रही। कोच और मैनेजर के रूप में धरम सिंह और लेस्ली क्लॉडियस जैसे दो दिग्गज थे। इस प्रतियोगिता में भारतीय हॉकी टीम का भाग लेना एक तरह से पुनर्गठन व पुनर्निर्माण का दौर था। 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक के बाद कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया था।
इस प्रतियोगिता में कप्तान अशोक कुमार ने सेंटर-फॉरवर्ड सुखबीर सिंह ग्रेवाल, सैयद अली, महाराज कृष्ण कौशिक, मर्विन फर्नांडिस और सुरेश मेहता के साथ फॉरवर्ड लाइन की अगुआई की। वासुदेवन भास्करन ने पापू सरकारिया, रोजर मैगी और जसविंदर सिंह के साथ मिडफील्ड की जिम्मेदारी संभाली। डीप डिफेंस की जिम्मेदारी उप-कप्तान सुरजीत सिंह और नए खिलाड़ी विनीत शर्मा और राजिंदर सिंह सीनियर ने संभाली, जबकि एलन स्कोफील्ड और ओलंपियो फर्नांडिस ने भारतीय गोल की रक्षा की।
एक तरह से सुरेश मेहता पुरूष हॉकी में जबलपुर से अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में खेलने वाले अभी तक अंतिम खिलाड़ी हैं। 1979 से अभी तक 45 साल का सूखा है।
महिला हॉकी- वर्ष 1936 में सीपी एन्ड बरार (पुराना मध्यप्रदेश व विदर्भ का क्षेत्र) महिला हॉकी संघ का गठन हुआ लेकिन जबलपुर में इससे पूर्व ही महिला हॉकी लोकप्रिय हो गई थी। शुरुआत में एंग्लो इंडियन व पारसी लड़कियां ही हॉकी के मैदान में बिना झिझक उतरती थीं। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के नॉरिस और रॉक महिला हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते थे। 1945 में जबलपुर में जुबली क्लब की स्थापना हुई। इस क्लब की नॉरिस सिस्टर्स (योवेन व डोरेल) और स्मिथ सिस्टर्स (वेंडी व फिलोमिना) भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए इंग्लैंड में 1953 और आस्ट्रेलिया में 1956 में खेलीं। दोनों सिस्टर्स की मदद से जुबली क्लब ने को एमपी के लिए 4 बार राष्ट्रीय खिताब जीतने में मदद की और दो बार उपविजेता रहीं। योवेन स्मिथ तो बाद में तो टीम की कप्तान भी बनीं।
जबलपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के कुछ ही वर्षों बाद 1961 में जबलपुर के हॉकी प्रेमियों ने महाकोशल महिला हॉकी एसोसिएशन बनाया। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पीवी दीक्षित की पत्नी विशाखा दीक्षित एसोसिएशन की अध्यक्ष बनीं।
महिला हॉकी के बारे में जारी रहेगा………