पंकज स्वामी
क्यों सबसे प्राचीन है जबलपुर का खेल इतिहास-5
(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के गठन की बात से जबलपुर व महाकोशल के खिलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर के खेल इतिहास सिरीज में आप चार किश्त पढ़ चुके हैं। यह पांचवी किश्त है। प्रयास होगा कि सभी खेलों का इतिहास यहां प्रस्तुत हो पाए।)
पिछले से जारी……
महाकोशल हॉकी संघ की प्रथम व संस्थापक सचिव पुष्पा वर्मा बनाई गईं। एसोसिएशन के गठन के पश्चात् महाकोशल की महिला हॉकी खिलाड़ियों ने अंतर विश्वविद्यालयीन व राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेना शुरु कर दिया। 1962 में तो यहां की टीम ने पंजाब के साथ फाइनल में मुकाबला किया। महाकोशल महिला संघ से चारू पंडित, सरोज गुजराल, सिंथिया फर्नांडीज, अविनाश सिद्धू (भारतीय टीम की कप्तान), गीता राय, कमलेश नागरथ, आशा परांजपे, मंजीत सन्धू और मधु यादव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर और देश का प्रतिनिधित्व कर जबलपुर का झंडा बुलंद किया। महाकोशल महिला हॉकी संघ से संबद्ध खिलाड़ियों ने उस समय सिलोन, जापान, सिंगापुर के विरूद्ध मैच खेले और न्यूजीलैंड आस्ट्रेलिया का दौरा किया। अविनाश सिद्धू व मधु यादव को विक्रम पुरस्कार प्रदान किया गया और बाद में मधु यादव अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हुईं। जबलपुर को दो बार राष्ट्रीय महिला प्रतियोगिता के आयोजन का गौरव मिला। अविनाश सिद्धू ने पश्चिमी जर्मनी में तीन वर्षीय उच्च स्तरीय फिजीकल एज्युकेशन का कोर्स किया। महाकोशल महिला संघ की विशाखा दीक्षित व चंद्रप्रभा पटेरिया भारतीय महिला हॉकी फेडरेशन की उपाध्यक्ष रहीं।
अविनाश सिद्धू, गीता राय व कमलेश नागरथ ने 1967 में एशियन वालीबाल चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उस समय मधु यादव, वंदना यादव, सरोज सोनी, सरिता यादव, कंचन यादव, सावित्री रजक को उत्कृष्ट खेल के लिए मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद ने वजीफा दिया। जबलपुर की महिला खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय कोच ज्ञान सिंह और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने जबलपुर में ही आकर प्रशिक्षित किया।
फुटबाल
फुटबाल जबलपुर का सबसे लोकप्रिय खेल रहा और है भी। स्थानीय तौर पर जब भी किसी क्लब का मैच होता है तो ग्राउंड के चारों ओर भीड़ जुट जाती है। सदर का शिवाजी ग्राउंड इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। ब्रिटिश आर्मी ने 19 वीं शताब्दी के अंत में जबलपुर को फुटबाल से परिचित करवाया। जबलपुर में तैनात 85-बैटरी, फ्यूजिलियर्स, चेशायर और किंग्स रेजीमेंट ने बंबई के रोवर्स कप और हावर्ड लीग को जीता। इन टीमों ने जबलपुर में शुरुआत में फुटबाल को लोकप्रिय बनाया। आर्मी के कारण जबलपुर के केन्टोन्मेंट क्षेत्र में फुटबाल ज्यादा लोकप्रिय हुआ। राबर्टसन कॉलेज में 1909 में फुटबाल खेलने की शुरुआत हुई तो जेईएए ने 1914 में फुटबाल की प्रतियोगिता करवाना शुरु की। उस समय फुटबाल के क्लब या टीमें बनना शुरु हो गई थीं, जिनमें राबर्टसन कॉलेज, नर्बदा क्लब, बीआई बाजार (1916), बर्न एन्ड कंपनी, सेंट अलॉयशियस, क्राइस्ट चर्च, आरसी क्लब, सेंट अंथोनी क्लब, छापाखाना (1932), मद्रास इलेवन (1942), रजक स्पोर्ट्स (1947) रेलवे क्लब केन्ट, जिमखाना, मिलिट्री हॉस्पिटल जैसी टीमें थीं। इन टीमों से कई प्रतिभावान खिलाड़ी निकले जिन्होंने अपने खेल से धूम मचा दी।
जारी है…..