हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में बारह मास होते हैं, हिन्दू पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है और फाल्गुन मास हिन्दू पंचांग का अंतिम मास होता है। सनातन पंचांग में चैत्र, बैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन मास होते हैं।
हिन्दू पंचांग का नौवां मास मार्गशीर्ष है। मार्गशीर्ष मास को अगहन के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष मास को अत्यंत शुभ माना जाता है। पुराणों में भी मार्गशीर्ष मास को ‘मासोनम मार्गशीर्षोहम्’ कहा गया है, अर्थात्- मार्गशीर्ष से अधिक शुभ कोई मास नहीं है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास का आरंभ शनिवार 16 नवम्बर 2024 से हो रहा है और इसका समापन रविवार 15 दिसम्बर 2024 को होगा।
अगहन मास का महत्व
सनातन संस्कृति में मार्गशीर्ष मास अथवा अगहन मास का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष यानी अगहन मास को सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। सनातन धर्म में कार्तिक महीने के बाद पड़ने वाले मास को मार्गशीर्ष अथवा अगहन मास कहते हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में रहता है, इसी नक्षत्र के नाम पर इस पावन मास का नाम मार्गशीर्ष रखा गया है।
अगहन यानी मार्गशीर्ष मास को जाने-अनजाने किए गए पाप से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम बताया गया है। इस मास में किसी पवित्र नदी या सरोवर आदि में स्नान एवं दान आदि करने का बहुत ज्यादा महत्व है। मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अत्यंत ही फलदायी मानी गई है। इसके साथ ही इस मास में माँ लक्ष्मी एवं शंख की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अगहन मास 2023 के प्रमुख व्रत-त्यौहार
सोमवार 18 नवंबर- गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
शुक्रवार 22 नवंबर- काल भैरव जयन्ती
मंगलवार 26 नवंबर- उत्पन्ना एकादशी
बृहस्पतिवार 28 नवंबर- प्रदोष व्रत
शनिवार 30 नवंबर- अमावस्या
रविवार 1 दिसंबर- मार्गशीर्ष अमावस्या
शनिवार 7 दिसंबर- चम्पा षष्ठी
बुधवार 11 दिसंबर- गीता जयन्ती, मोक्षदा एकादशी
शुक्रवार 13 दिसंबर- प्रदोष व्रत
शनिवार 14 दिसंबर- दत्तात्रेय जयन्ती
रविवार 15 दिसंबर- धनु संक्रान्ति, मार्गशीर्ष पूर्णिमा