अंकुर सिंह
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उप्र-222129
रूठना हक तुम्हारा,
मानना फर्ज हमारा।
माफ कर दो अबकी,
बिन तुम्हारे मैं हारा।।
तुम जितनी रुठोगी,
हम उतना मनाएंगे।
हो जितने भी झगड़े,
तुम्हें भुला ना पाएंगे।
सुनो तुम मुझे भी जरा,
तुम्हारे बिना मैं अधूरा।
मैं कलम तुम कागज,
मिलकर ही होंगे पूरा।
रूठो तुम, हम मनाएंगे,
प्यार से तुम्हें सताएंगे।।
मत जाओ छोड़ के दूर,
बिना तुम्हारे रह न पाएंगे।।
गलती हुई, दिल दुखाया,
गुस्से में आंखें दिखा लो।।
कह के दो चार बातें मुझे,
फिर से तुम गले लगा लो।
प्लीज, अब मान भी जाओ,
टीचर जैसा मुर्गा बनाओ।
रूठ कर, गुस्से में बात करो,
पर खुद से ना मुझे दूर करो।।