भारतीय रेल के यूनियन मान्यता चुनाव में करारी हार के बाद रेलवे ने पश्चिम-मध्य रेलवे की लाल झंडा यूनियन से कई सुविधाएं वापस ले ली हैं। जबलपुर मुख्यालय ने मंगलवार को इसके आदेश जारी कर दिये है। उप मुख्य कार्मिक अधिकारी संजय कुमार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार मान्यता चुनाव हारने वाली यूनियन का कार्यालय, प्रतिनियुक्ति, सीयूजी सिम तथा कार्ड पास आदि की सुविधाएं रोकी जाती।
इस आदेश के बाद लाल झंडा यूनियन को अब सभी जगह से अपना ऑफिस खाली करना होगा। साथ ही प्रतिनियुक्ति पर मौजूद यूनियन पदाधिकारी को नौकरी पर भी जाना होगा। जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस नए आदेश के बाद अब लाल झंडा यूनियन के पदाधिकारियों को कार्ड पास की सुविधा भी नहीं मिल सकेगी। साथ ही यूनियन पदाधिकारियों को जारी मोबाइल फोन की सीयूजी सिम भी रेलवे को वापस करनी होगी। इसके साथ ही रेल प्रशासन कोई भी मीटिंग भी नही करेगा।
उल्लेखनीय है कि 4, 5 और 6 दिसंबर को रेलवे संगठनों के मान्यता प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में लाल झंडा यूनियन को मान्यता नहीं मिली। जब कि मजदूर संघ अपनी मान्यता बरकरार रखने में कामयाब रही। मान्यता के कर्मचारी संगठनों को कुल वैध मतों के करीब 35 प्रतिशत वोट हासिल करना जरुरी थे।
पश्चिम-मध्य रेल जोन में कुल 51 हजार 260 में से 45 हजार 177 कर्मचारियों ने वोट डाले थे। इसमें से रेलवे मजदूर संघ को 17 हजार 682 वोट मिले थे। संघ का मत प्रतिशत 40.01 रहा था। जब कि लाल झंडा यूनियन को 14 हजार 727 वोट मिले थे। यूनियन का वोट प्रतिशत 32.77 रहा था। निर्धारित 35 प्रतिशत मत नहीं मिलने पर रेलवे ने यूनियन की मान्यता समाप्त कर दी।
रेलवे ने केवल वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ (तिरंगा झंडा यूनियन) चुनाव चिन्ह ‘गाय’ को ही मान्यता प्रमाण-पत्र जारी किया है। इस चुनाव में कुल पांच संगठन खड़े हुए थे। बाकि वोट अन्य संगठनों के खाते में गए थे। पमरे की इकलौती मान्यता प्राप्त संगठन बनने पर मजदूर संघ के महामंत्री अशोक शर्मा ने बताया कि रेल कर्मचारी ने दिल खोलकर गाय को वोट किया है। जिसके लिए हम सभी के अभारी हैं और हम विश्वास दिलाते है कि रेलकर्मियों के हितों की रक्षा करेंगे तथा हर जायज मांग को पुरजोर तरीके हर स्तर पर रख कर संघर्ष करेंगे।