पीएम सूर्यघर योजना लागू होने के बाद मालवा और निमाड़ यानि पश्चिम एमपी में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में व्यापक बढ़ोत्तरी हुई हैं। दिसंबर के तीसरे सप्ताह की स्थिति में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधीन 15 जिलों में 22500 स्थानों पर रूफ टॉप सोलर नेट मीटर योजना के तहत बिजली उत्पादन हो रहा हैं।
मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर की प्रबंध निदेशक सुश्री रजनी सिंह ने बताया कि फरवरी से दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक दस हजार से ज्यादा उपभोक्ता रूफ टॉप सोलर नेट मीटर योजना से जुड़े हैं। इसमें से आठ हजार से ज्यादा पीएम सूर्यघर योजना से संबंधित हैं।
सुश्री रजनी सिंह ने बताया कि पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत जो भी उपभोक्ता अपने यहां सोलर पैनल्स लगा रहे हैं, उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से सीधे सब्सिडी मिल रही है। केंद्र से मालवा निमाड़ के पात्रता वाले बिजली उपभोक्ताओं को पीएम सूर्यघर की सब्सिडी मिलने का दौर सतत जारी है।
सुश्री रजनी सिंह ने बताया की पीएम सूर्यघर योजना में पात्र उपभोक्ता को अधिकतम 78 हजार की सब्सिडी मिलती है। इसमें एक किलो वॉट के संयंत्र के लिए 30 हजार, दो किलो वॉट के संयंत्र के लिए 60 हजार एवं तीन किलो वॉट के संयंत्र के लिए अधिकतम 78 हजार की सब्सिडी देय हैं। तीन किलो वॉट से ज्यादा का संयंत्र भी लगाया जा सकता है, लेकिन अधिकतम सब्सिडी 78 हजार ही मिलेगी।
कंपनी क्षेत्र में कुल 22500 उपभोक्ता सूरज की किरणों से बिजली तैयार कर रहे हैं। इसमें 21950 निम्न दाब श्रेणी के एवं 550 उच्चदाब श्रेणी के उपभोक्ता शामिल हैं। रूफ टॉप सोलर मीटर से जुड़े उपभोक्ताओं की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 205 मैगावाट से अधिक हो चुकी हैं।
प्रबंध निदेशक सुश्री रजनी सिंह ने बताया कि इंदौर मध्य शहर, बायपास, सुपर कॉरिडोर इत्यादि क्षेत्र में 12300 उपभोक्ता अब तक रूफ टॉप सोलर नेट मीटर योजना से जुड़ चुके हैं। इसके बाद उज्जैन जिले में 2310, देवास जिले में 1280, खरगोन जिले में 900, रतलाम जिले में 895 उपभोक्ता सूरज की किरणों से पैनल्स के माध्यम से अपने परिसरों में बिजली तैयार कर रहे हैं।
बिजली बिल में 90 प्रतिशत तक की कमी
सौर पैनल्स की स्थापना के बाद इन उपभोक्ताओं के बिजली बिल कम आ रहे हैं। तीन किलोवॉट तक पीएम सूर्यघर योजना के लाभान्वितों के बिजली बिल तो 3000-4000 रुपये की जगह मात्र 300-400 रुपये के ही आ रहे हैं, क्योंकि तीन किलोवॉट तक पैनल्स लगाने वाले उपभोक्ताओं के यहां करीब 350 यूनिट तक मासिक बिजली तैयार हो रही हैं।