बिजली अधिकारियों की तानाशाही और स्टाफ की लापरवाही से बिजली कंपनी का एक आउटसोर्स कर्मी 11 केवी करंट से बुरी तरह झुलस गया, जहां आउटसोर्स कर्मी की जान का जोखिम देखते हुए उसका एक हाथ काटना पड़ा। हादसे में दिव्यांग हुए पांच बच्चों के पिता आउटसोर्स बिजली कर्मी के समक्ष भविष्य में रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि दिनांक 22 जनवरी को मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जिला सिंगरौली के अंतर्गत बैढ़न के ग्राम हर्रा में 11 केवी लाइन फाल्ट हो गई थी, जिस पर जूनियर इंजीनियर के द्वारा रात लगभग 9 बजे आउटसोर्स कर्मी चंद्रिका प्रसाद पनिका, उम्र 45 वर्ष को फाल्ट सुधारने का आदेश देने के साथ ही इसके लिए लाइन बंद करने सब-स्टेशन से परमिट लेने का आदेश भी आउटसोर्स कर्मी को ही दे दिया गया, जबकि नियमानुसार इसके लिए अधिकारी को स्वयं ही परमिट लेना था।
आउटसोर्स कर्मी के द्वारा फाल्ट सुधारने के लिए ग्राम हर्रा के 33*11 केवी सब-स्टेशन में कार्यरत आउटसोर्स ऑपरेटर नागेश पांडे से सप्लाई बंद करने का परमिट लिया गया। इसके बाद चंद्रिका प्रसाद डीपी के ऊपर लगे ट्रांसफार्मर में चढ़कर 11 केवी लाइन में आए फाल्ट का सुधार कार्य कर रहा था। उसी समय अचानक बिजली सप्लाई चालू हो गई, जिसकी वजह से चंद्रिका प्रसाद का दाहिना हाथ करंट लगने की वजह से बुरी तरह जल गया, साथ ही उसके दोनों पैर भी घुटने के ऊपर जल गए। आउटसोर्स कर्मी लगभग 8 फीट की ऊंचाई से जमीन पर आ गिरा।
मौके पर मौजूद सहयोगियों के द्वारा घायल आउटसोर्स कर्मी को यथाशीघ्र सिंगरौली के अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार करने के बाद जबलपुर के निजी हॉस्पिटल में लाकर आईसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया गया। उपचार के दौरान 24 जनवरी को डॉक्टर के द्वारा आउटसोर्स कर्मी की जान का जोखिम देखते हुए दाहिना हाथ काट दिया गया।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आउटसोर्स कर्मी का इलाज साथियों के द्वारा एकत्र चंदे से किया जा रहा है, अभी तक आउटसोर्स कर्मी की सुध न तो बिजली कंपनी प्रबंधन और अधिकारियों ने ली और न ही ठेका कंपनी QUESE प्राइवेट लिमिटेड ने उसका हालचाल जाना। अभी तक आउटसोर्स कर्मी के इलाज में 140000 रुपये खर्च हो गए हैं।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आउटसोर्स कर्मी की पत्नी एवं पांच बच्चे भी हैं। आउटसोर्स कर्मी के इलाज के लिए ठेका कंपनी QUESE प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा अभी तक कोई भी सहायता राशि नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि वे इस ओर पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन का ध्यानाकर्षण करना चाहते हैं कि 33 केवी या 11 केवी लाइन को बंद करने का परमिट जूनियर इंजीनियर या सहायक अभियंता के द्वारा लिया जाता है, तो फिर आउटसोर्स कर्मी के द्वारा सप्लाई बंद करने का परमिट क्यों लिया गया, इस पर गंभीरता से जांच कर दोषी के ऊपर कठोर कार्यवाही की जाए, ताकि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो।
संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, इंद्रपाल सिंह, लखन सिंह राजपूत, पवन यादव, संदीप यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, अशोक पटेल, दशरथ पांडे आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि इस हादसे की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए और आउटसोर्स कर्मी को इलाज के लिए सहायता राशि दी जाए।