लगातार बढ़ते तापमान के कारण लू (हीट वेव) का खतरा भी बढ़ गया है। जब वातावरण का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 फैरेनहाइट) या उससे अधिक हो जाता है, तो इसे हीट वेव या लू कहा जाता है। इसका सबसे अधिक असर ’बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों’ पर पड़ता है।
लू लगने पर सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह सूखना, चक्कर आना, उल्टी होना और भूख कम लगना, कमजोरी और शरीर में दर्द, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीना न आना एवं अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना आदि लक्षण दिखाई पड़ते है।
प्राथमिक उपचार
लू लगने पर प्राथमिक उपचार के लिए मरीज के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखें। उसे अधिक मात्रा में पानी और पेय पदार्थ दें, जैसे कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि। मरीज को हवादार स्थान पर लिटाएं और उसके शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करें तथा तुरंत नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं और ओआरएस घोल दें।
लू से बचाव के उपाय
बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें। बाहर जाने से पहले सिर और कानों को कपड़े से अच्छी तरह ढंकें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं’ और लंबे समय तक धूप में रहने से बचें। हल्के, ढीले और ’सूती कपड़े पहनें, अधिक पसीना आने पर ओ.आर.एस घोल का सेवन करें। चक्कर या मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करें और शीतल पेय पिएं तथा किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए 104 आरोग्य सेवा केंद्र से निःशुल्क सलाह लें।
पानी, छांछ, ओआरएस का घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी, आम का पना का सेवन करने से लू से बचा जा सकता है। इसके साथ ही धूप में निकलते समय सिर ढककर रखना चाहिए। धूप में निकलते समय कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करना चाहिए। धूप में निकलने के पूर्व तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए।
सूर्य दाह या सनबर्न होने पर प्रभावित को त्वचा पर लाल चकता, सूजन, फफोले, सिरदर्द के लक्षण प्राप्त होने पर उसे बार-बार नहलाना चाहिए। यदि फफोले निकल आएं हो तो स्टरलाइज ड्रेसिंग करनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।
ताप के कारण शारीरिक ऐठन, पैर एवं पेट की मांसपेशियों तथा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफ और अत्यधिक पसीना आने पर प्रभावित को तत्काल छाँवदार स्थल पर ले जाना चाहिए। शरीर का वह भाग जहां ऐंठन हो रही हो, उसे जोर से दबाना चाहिए और धीरे-धीरे सहलाना चाहिए।
लू लगने पर प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना भी पिलाया जा सकता है। इस दौरान प्रभावित को उबकाई आने पर शीतल पेय पिलाना तुरंत बंद कर देना चाहिए और उसे फ़ौरन नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाना चाहिए।
इसके अलावा अत्यधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव का अनुभव होने की स्थिति में प्रभावित को अत्यधिक पसीना, कमजोरी, सिरदर्द, शरीर ठंडा और पीला पड़ जाने एवं नब्ज कमजोर पड़ जाने, मूर्छित हो जाने और उल्टी जैसे लक्षण प्राप्त होने पर प्रभावित को छायादार स्थल पर लिटा कर शरीर पर ठंडे और गीले कपड़े से स्पंजिंग करना चाहिए। यदि संभव हो तो उसे वातानुकूलित कमरे में ले जाना चाहिए।
तापदाह (हीट स्ट्रोक) की स्थिति में अत्यधिक बुखार, अत्यधिक गर्म एवं सूखी त्वचा, तेज नब्ज या बेहोशी पर तत्काल नजदीकी अस्पताल पहुँचाना चाहिए और प्रभावित को डॉक्टर को दिखाना चाहिए।