किसान: प्रीति

प्रीति
चंडीगढ़

कौन है किसान
मैं यह बताने आई हूँ
मैं भारत की बेटी
भारतीय किसानों का
परिश्रम बताने आई हूँ

भरता पेट सभी लोगों का
मिट्टी से फसल, है उगाता
है जिस पर टिकी, भारत की अर्थव्यवस्था
है वह किसान

जिसने ना देखा कड़कती धूप
ना बादलों का गरजना
ना डरावनी काली रात
ना कोई त्योहार
ना कोई छुट्टी
दिनभर किया काम
हर पल किया परिश्रम
डटा रहा हर मौसम में
जब तक फसल ना पक जाए
है वह किसान

सूरज के उठने से पहले
चिड़ियों के चहचहाने से पहले
वो पहुंचे खेतों में
मेहनत करता पूरी
उठाए जिम्मेदारीयों के बोझों को
अपने कन्धों पे
आलस ज़रा सा ना करता
है वह किसान

कभी सूखी हुई फसल
कभी बंजर भूमि
तो कभी मुसीबतों की मार
कभी वक़्त की मार ऐसे पड़ी
भूखा सोया किसान
पर ना डरा किसान
ना छोड़ा साहस
मुस्कुराते हुए, किया कष्टों को दूर
फिर खड़ा हो उठा
बनाने अपनी भूमि को उपजाऊ
है वह किसान

भूख हमारी मिटाता हैं
चाहे स्वयं भूखा सो जाए

जय जय जय भारतीय किसान
तुमने ना भूखा सोने दिया
ना कभी किया तुमने विश्राम
हर दिन किया तुमने काम
है वह किसान
है वह महान पुरूष किसान