प्रीति
चंडीगढ़
देश के मेरे जवान
हैं वह वीर सिपाही
हैं वह भारत की शान
भारत के जवान
आँखों में गुस्सा, दिल में जज़्बा
लिए, जब यह लड़ते हैं
जिद पर अपनी अड़ते हैं
थर-थर कांपे दुश्मन
ऐसे हैं वीर सिपाही
भारत के जवान
हैं साहसी और निडर
ना देखे कड़कती धूप
ना बर्फिली पहाड़ियां
ना दिन-रात
ना वो रेगिस्तान की भयानक गर्मी
जिसमें जीवन जीना कठिन
पर ना जाने कैसे
डटे रहे हर मौसम में
खड़े रहे हर पल
सरहद को महफूज रखे
हैं वह वीर सिपाही
भारत के जवान
सरहद पर गोली खाते
उफ़ तक ना करते हैं
राष्ट्र भक्ति में विलीन रहते
तूफानों का रुख मोड़ देते
आंधियों में उड़ते हैं
स्वयं कुर्बान हो जाते
पर ना राष्ट्र, पर आंच आने देते
हैं वह वीर सिपाही
भारत के जवान
परिवार, सम्बन्धों को त्याग
भारत माता की सेवा में
बलिदान की भावना रखते
है वह वीर सिपाही
भारत के जवान
हम घरों में, महफूज रहे
इसलिए वो सरहद पर तैनात रहे
अपने खून से, भारत माता का तिलक करे
स्वदेश के लिए, स्वदेश पर मरे
मृत्यु समीप हो, मृत्यु से ना डरे
है वह भारत माता के वीर सपूत
कहां किसी से डरे
है वह वीर सिपाही
भारत के जवान
हैं वह भारत के वीर सिपाही
हैं वह भारत की सच्ची शान
भारत के जवान