वैसे तो मोटापा इंसान के लिए अभिशाप है, परन्तु यह मोटापा भीम जैसा विशालकाय कद काठी में हो तो वरदान से कम नहीं होता है।
कहतें हैं कि महाबली भीम के पास दस हजार हाथियों का बल था। अगर यह दस हजार हाथियों का बल वर्तमान युग में किसी इंसान के अन्दर आ जाय तो वह एक क्षत्रप राज्य का राजा हो जाय। परन्तु यह अब संभव नहीं है क्योंकि आजकल मशीनरी युग में हाथियों का बल अब हार्स पावर हो गया है, यानी हाथियों की जगह अब घोड़ों ने लिया है।
वैसे आजकल बेरोजगारी को देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि प्रत्येक गाँव, कस्बा व शहरों में दस बीस पचास मोटे विशालकाय व्यक्तियों की जरूरत है इन विशालकाय मोटे व्यक्तियों के दैनिक क्रिया कर्म के लिए इधर-उधर ले जाने और ले आने के लिए बेरोजगार व्यक्तियों को काम तो मिलेगा।
लोग कहते हैं कि मोटा व्यक्ति आलसी होता है, लेकिन मेरा मानना है कि यह सरासर गलत है। मोटा व्यक्ति अपने जीवन को चलाने के लिए अपने जीवन का अधिकतर बहुमूल्य समय खाने-पीने में ही व्यतीत करता है और खाने पीने में समय व्यतीत करना भी काम की श्रेणी में आता है।
वैसे आज के युग में विशालकाय मोटे व्यक्ति को मेले व हाट में प्रदर्शनी लगाकर पैसे भी कमाया जा सकता है। मोटे विशालकाय व्यक्ति का लिमका बुक व गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो सकता है।
अगर किसी गाँव को राज्य और देश में कोई जानता पहचानता न हो और उस गाँव का मोटे विशालकाय व्यक्तियों के कारण विश्वस्तरीय पहचान मिल जाये तोऽ यह मोटापा उस गाँव के लिए वरदान से कम नहीं है इस विश्वस्तरीय पहचान का सारा श्रेय विशालकाय मोटे व्यक्ति को जाना चाहिए और उस विशालकाय मोटे व्यक्तियों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
मोटा होने के लिए कुछ करना नहीं है, केवल मन लगाकर खाना है। यानि कि जो भी मिले भकोस लेना है और मोटा होने के लिए एक सीढ़ी पार कर लेना है।
इस प्रकार मोटा व्यक्ति दिन दूनी-रात चौगुनी तरक्की करने लगता है।
सरकार भी अगर गरीब का उन्मूलन नहीं कर सकती है तो मोटे व्यक्तियों के तरफ ही ध्यान देना चाहिए, ताकि मोटे व्यक्तियों के देखभाल में बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा और देश को बेरोजगारी से निजात मिलेगा।
जिस विशालकाय मोटे व्यक्तियों के कारण देश की बेरोजगारी दूर होती हो और जीडीपी के आकड़े में उछाल आ जाये। वह मोटापन देश और व्यक्ति के लिए अभिशाप नही वरदान होता है और इस मोटे व्यक्ति के सम्मान में नया नारा देना चाहिए।
होगा गाँव देश का तभी विकास।
जब होगा मोटा व्यक्ति हर गाँव कस्बा में दस बीस पचास।
त्रिवेणी कुशवाहा ‘त्रिवेणी’