मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में विद्युत संविदा कर्मचारी लगातार बिजली का काम करते आ रहे हैं। प्रदेश की तीनों कंपनियों में मिला के लगभग 7000 संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनकी नियुक्ति व्यापम के माध्यम से एमपी ऑनलाइन के माध्यम से परीक्षा प्रणाली से हुई हैं। विद्युत विभाग निरंतर चलने वाला विभाग है और बिजली का काम बड़ा जोखिम पूर्ण होता है। एक छोटी सी भूल या गलती कर्मचारी की जान ले लेती है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विधानसभा चुनाव 2013 के समय पर पार्टी का जन संकल्प 2013 घोषित किया, जिसमें पेज नंबर 33 बिंदु क्रमांक-6 पर विद्युत संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए घोषणा की गई।
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विद्युत महिला संविदा कर्मचारियों का दर्द झलक गया और उन्होंने अपने संवेदनशील मुख्यमंत्री मामाजी को फिर 2013 का जन संकल्प घोषणा याद दिलाई, संविदा कर्मचारी लगातार विभाग में काम कर रहे हैं और उनकी आयु भी अब अधिक हो गई है जिससे वह संविदा की नौकरी छोड़कर किसी दूसरे विभाग में भी नहीं जा सकते।
पिछला विधानसभा 2018 का चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की घोषणा कर चुके थे लेकिन 2018 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी हार गई और कांग्रेस पार्टी कमलनाथ की सरकार उन्हें सरकार बना ली।
अब जब वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की सरकार चला रहे हैं तो फिर विद्युत संविदा कर्मचारियों को मुख्यमंत्री पर भरोसा जताया है और 2013 का जन संकल्प याद दिला रहे हैं। संविदा पर कार्य करते हुए इन कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में रहता है, क्योंकि संविदा नौकरी में पेंशन की व्यवस्था नहीं है, एक्सीडेंटल बीमा मात्र ₹4 लाख मिलता है, प्रमोशन नहीं होता, हर 3 साल में बांड समाप्त हो जाता है फिर नया बॉन्ड भरा जाता है, इस प्रकार की अनेक समस्याओं से संविदा कर्मचारी परेशान है।