मध्य प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत ब्यावरा में ट्रांसफार्मर रखने के नाम पर ठेकेदारों से अतिरिक्त राशि वसूल करने व किसानों के ऊपर बिजली चोरी के प्रकरण बनाकर फिर समझौता करने के मामले में बिजली कंपनी के डीई, एई व जेई को निलंबित कर दिया गया है। जांच में पाया गया कि तीनों अधिकारियों ने रिश्वत लेने के लिए नया तरीका ईजाद किया गया था। अधिकारी फोन पे एप के माध्यम से राशि ले रहे थे, हालांकि रिश्वत की राशि नगद के रूप में भी ली जा रही थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र के विधायक रामचंद्र दांगी ने 14 मार्च को भोपाल में विद्युत वितरण कंपनी के एमडी गणेश शंकर मिश्रा से सबूत के साथ तीनों अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। विधायक ने शिकायत में बताया था कि संबंधित अधिकारियों द्वारा बिजली के वाजिब काम के बदले में रिश्वत ली जा रही है। ट्रांसफार्मर रखने के लिए बिना राशि लिए तीनों अधिकारी न तो स्वीकृति प्रदान करते हैं और न ही फाइल आगे बढ़ाते हैं।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, संबंधित अधिकारियों द्वारा एक-एक ट्रांसफार्मर पर 15 से 30 हजार तक अधिक लिया जा रहा है। ये शिकायतें विधायक दांगी ने सबूत के साथ की थी। इसके अलावा शिकायत में ये उल्लेख भी किया गया था कि किसानों के ऊपर वसूली के नाम पर झूठे बिजली चोरी के प्रकरण बनाए जा रहे हैं। जिस किसान की 5 हार्स पावर की पानी की मोटर चलती हुई पकड़ी जाती है, उसके 15-15 हार्स पावर के चोरी के केस बनाए जा रहे थे।
इन शिकायतों के साथ भी सबूत पेश किए गए थे। शिकायतें सामने आने के बाद एमडी मिश्रा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कराई गई। जांच में तीनों अधिकारी दोषी पाए जाने पर डीई कमलकांत सिंह, ब्यावरा शहर के एई उमेश विश्वकर्मा व ग्रामीण क्षेत्र के जेई एमके मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
विधायक दांगी द्वारा जैसे ही पूरे मामले को लेकर सबूत के साथ बिजली कंपनी के एमडी से शिकायत की गई, उसी समय एमडी ने पूरे मामले की जांच करने के लिए एक टीम को ब्यावरा भेजा। टीम ने शिकायत के प्रमुख बिंदुओं पर जांच की तो विधायक की शिकायत के बिंदु सही पाए गए। इसके बाद तीनों अधिकारियों को मुख्य अभियंता भोपाल कार्यालय से आदेश निकालकर निलंबित कर दिया गया है।