सोनिया वर्मा
रुख हवा अपना बदल के आज आई दोस्तों,
फिर दिलों में क्रांति की ज्वाला जलाई दोस्तों
आज धरती क्यों नहीं है रास आती आपको,
चल दिए जो नापने शशि की ऊँचाई दोस्तों
कर दिखाए कुछ नया सा आज लोगों को यहाँ,
हम जहाँ में कर रहे अब भी भलाई दोस्तों
घर बनाए हम गरीबों के लिए सोचा नहीं,
फिर सियासी बात ऐसी क्यूँ छपाई दोस्तों
हाल देखा टूटते रिश्तों का आसूँ बह गये
कौन पाटेगा दिलों के बीच खाई दोस्तों
क्यों न बदलें पाठ्यक्रम को अब नए परवेश में
आज बच्चों को सिखाना है सफाई दोस्तों