कार्य के दौरान आउटसोर्स और संविदा बिजली कर्मियों की करंट लगकर मृत्यु होने पर जिम्मेदार कौन

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी प्रबंधन एवं मध्यप्रदेश शासन व प्रमुख ऊर्जा सचिव से जानना चाहता है कि जब मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों के द्वारा उपभोक्ता सेवा सर्वोपरि को ध्यान में रखकर उनके घरों को 24 घंटे उजाला नियमित दे रहे हैं, तो आप लोगों को भी नियमित कर्मचारियों की भर्ती करना था।

तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि आप सभी को विदित है कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल एक ऐसी संस्था है, जहां पर करंट का जोखिपमपूर्ण कार्य तकनीकी कर्मचारियों से कराया जाता है, जहां कार्य के दौरान कई बार करंट लगकर मौत हो जाती है। ये भी सर्वविदित है कि करंट अथवा पोल पर चढ़कर जोखिमपूर्ण कार्य करते हुए सैकड़ों लाइनकर्मियों, जिनमें नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मी भी शामिल हैं, की मृत्यु हो चुकी है। इनमें संविदा और आउटसोर्स कर्मियों की मृत्यु नियमविरुद्ध कार्य कराये जाने के दौरान हुई है, ये बात मैदानी अधिकारी और कंपनी प्रबंधन भी अच्छी तरह से जानता है।

उन्होंने कहा कि किसी मां का लाड़ला, किसी महिला का पति, किसी मासूम बेटी का पिता या किसी परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य की मृत्यु करंट लगने से हो जाती है, तो उस परिवार पर वज्रपात जैसा होता है। जहां एक महिला विधवा हो जाती है, मासूम बच्चे अनाथ हो जाते हैं और किसी माँ की कोख उजड़ जाती है। बिजली कंपनियों में बड़ी संख्या में दर्दनाक हादसे हो रहे हैं, उसके बाद भी आउटसोर्स कर्मियों का न ही संविलियन नहीं किया गया और न ही उनके लिए कोई भी मानव संसाधन नीति नहीं बनाई गई।

इसके अलावा संविदा बिजली कर्मियों को भी बिजली कंपनियों में कार्य करते हुए 9 वर्ष हो गए हैं। मध्य प्रदेश की सत्तारुढ़ पार्टी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में ये वादा किया था कि उनकी सरकार बनी तो विद्युत कंपनियों के सभी संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण कर देंगे, किंतु उन्होंने आज तक वादा नहीं निभाया।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संविदा कर्मियों का कम से कम 20 लाख रुपए का बीमा करना चाहिए। उनको कैशलेस की सुविधा देना चाहिए, किंतु सरकार और कंपनी प्रबंधन के द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है। आउटसोर्स और संविदा कर्मियों की करंट लगकर मृत्यु होने पर जब इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर के द्वारा रिपोर्ट दी जाएगी, तभी उसको 4 लाख मुआवजा दिया जाएगा, अन्यथा नहीं दिया जाएगा।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जबलपुर के पाटन संभाग में एक ऐसा मामला सामने आया है कि जहां करंट लगकर मृत्यु होने पर आउटसोर्स कर्मी को आज तक 4 लाख नहीं दिए गए। वो भी अपने परिवार का इकलौता लड़का था। संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवार, इंद्रपाल सिंह, लखन सिंह राजपूत आदि ने मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं मध्य प्रदेश शासन से मांग की है कि आउटसोर्स के लिए मानव संसाधन नीति बनाई जाए। संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए और नियमित कर्मचारियों को फ्रिंज बेनिफिट दिया जावे। इसके साथ ही संघ ने मांग की गई है कि वर्ष 2012 के पूर्व और वर्तमान में सेवा कार्य के दौरान मृत हुए आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मी के आश्रित को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।