तीन माह में 265 ज्ञापन: सरकार को अब और समय देने के मूड में नहीं हैं एमपी के बिजली कर्मी

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों के कर्मचारियों के संयुक्त संगठनों तकनीकी कर्मचारी संघ, कल्याण संघ, यूनाइटेड फोरम एवं आउटसोर्स बिजली कर्मचारी संगठनों के द्वारा शोषित कर्मचारियों की 3 मांगो को लेकर विगत 3 माह में कर्मचारी संगठनों के द्वारा मध्यप्रदेश शासन, जनप्रतिनिधियों एवं विद्युत मंडल की बिजली कंपनियों के प्रबंधकों को लगभग 265 ज्ञापन पत्र दिए गए हैं।

इन ज्ञापनों में मांग की गई है कि मांग आउटसोर्स बिजली कर्मी एवं मीटर रीडर का विद्युत मंडल की कंपनियों में संविलियन कर उनका जीवन सुरक्षित रखने के लिए मानव संसाधन नीति बनाई जावे तथा वर्ष 2012 के पूर्व एवं वर्तमान में सेवा के दौरान मृत हुए सभी श्रेणी के बिजली कर्मियों के आश्रितों को बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति दी जावे। भाजपा के चुनावी जन संकल्प 2013 के अनुसार संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जावे। नियमित कर्मियों का रोका गया फ्रिंज बेनिफिट दिया जाए।

बिजली कंपनियों के संयुक्त संगठनों के द्वारा बिजली कर्मचारियों की मांगों को लेकर किए जा रहे आंदोलन के बीच 5 जनवरी को प्रमुख सचिव ऊर्जा के द्वारा संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनसे चर्चा की गई और उनकी मांगों के उचित समाधान के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था, किंतु आज तक प्रमुख सचिव ऊर्जा के द्वारा संगठनों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। जिसे देखते हुए बिजली कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि सरकार को अब और समय नहीं दिया जायेगा तथा 21 जनवरी से अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल की जाएगी।

संयुक्त संगठनों के शंभूनाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, अजय कश्यप, राजकुमार सैनी, अरुण ठाकुर, शिवराज राजपूत, राहुल मालवीय, शंकर यादव, रतीपाल यादव, मोहन दुबे, अरुण मालवीय, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवर, इन्द्रपाल सिंह, सुखदेव झारिया, विनोद दास, पुरुषोत्तम पटेल, लखन सिंह राजपूत, जगदीश मेहरा आदि ने कहा है कि तीनों मांग को लेकर अंत तक लड़ाई लड़ी जाएगी।