वर्ल्ड वाटर डे पर इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स लोकल सेंटर जबलपुर के तत्वाधान में जल संरक्षण और उसके उपयुक्त प्रबंधन के लिए साझेदारी और सहयोग के माध्यम से परिवर्तन थीम पर सेमिनार आयोजित हुआ। जिसमें देश विदेश के प्रसिद्ध जल संरक्षण विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस सेमिनार में चार्टर्ड इंजीनियर पेसिफिक वेनक्यूवर कनाडा से डॉक्टर सुरेश विश्वकर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में हिस्सा लिया। सेमिनार में जल संरक्षण अभियान जबलपुर के विनोद शर्मा गेस्ट स्पीकर रहे, जबकि मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश शासन के जल संसाधन विभाग के पूर्व सचिव डॉ एनके अग्रवाल थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में जल जीवन मिशन जबलपुर के मुख्य अभियंता एचएस गौड़ भी उपस्थित थे।
सेमिनार में मुख्य रूप से इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि जलवायु में लगातार आ रहे परिवर्तन के बीच जल संरक्षण और उसका प्रबंधन कैसे किया जाए? जल को बचाने और उसे संरक्षित करने के अनेक उपायों पर विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की इसमें मुख्यतः जल संरक्षण में माइक्रो इरिगेशन की अहम भूमिका पर भी बात हुई। इसमें बताया गया कि माइक्रो इरीगेशन सिस्टम से फसलों के लिए सिंचाई करने में आधे पानी की बचत होगी साथ ही उस बचे हुए पानी का उपयोग दूसरे क्षेत्र में भी किया जा सकता है।
इसके अलावा विशेषज्ञों ने पानी को बचाने और उसे संरक्षित करने लोगों को जागरूक करने पर भी बल दिया। विशेषज्ञों में यह आम राय बनी कि सिर्फ सरकारी प्रयास से जल संरक्षण के इस अभियान को पूरा नहीं किया जा सकता। पानी के महत्व को देखते हुए खेतों में भी सिंचाई के नए तरीके अपनाने और घरेलू व औद्योगिक क्षेत्रों में पानी के अधिक उपयोग की मात्रा को नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता पर भी विशेषज्ञों ने अपनी राय प्रकट की।
सेमिनार में जबलपुर लोकल सेंटर के चेयरमैन इंजीनियर पीसी दुबे ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। इंजीनियर वेदांत श्रीवास्तव ने सेमिनार की थीम के बारे में वक्ताओं को बताया। काउंसिल मेंबर एंड चेयरमैन एआईटीसी इंजीनियर राकेश राठौर ने इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स की भूमिका के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। इसके अलावा आईआई के सदस्य इंजीनियर सागर श्रीवास्तव और राजेश सिंघल ने उपस्थित विशेषज्ञों का परिचय करवाया। सेमिनार का संयोजन इंजीनियर एसएस पवार ने संचालन एवं आभार प्रदर्शन मानसेवी सचिव इंजीनियर संजय मेहता ने किया। इंजीनियर राजेश ठाकुर, इंजीनियर मनीष वाजपेयी और आयोजन सचिव इंजीनियर केके गुप्ता ने सेमिनार को सफल बनाने में अपना सहयोग दिया।