भोपाल (हि.स.)। खगोलविज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए माघ कृष्ण अमावस्या पर शुक्रवार 9 फरवरी की शाम आसमान में रोमांचक घटना होने जा रही है। इस दौरान अमावस्या का चांद सुपर न्यू मून होगा। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होगा, लेकिन वह दिखाई नहीं देगा। सुपर न्यू मून नाम आते ही हमारे मन में कल्पना होती है कि चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन अगर कहा जाए कि शुक्रवार को सुपर न्यू मून है और वह दिखेगा नहीं तो यह अनेक लोगों के लिए नई बात हो सकती है। यह बात नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने गुरुवार को कही।
सारिका ने विद्याविज्ञान कार्यक्रम में बताया कि शुक्रवार शाम आसमान में सुपर न्यूमून की घटना होने जा रही है। इसमें चंद्रमा पृथ्वी के पास आकर मात्र तीन लाख 58 हजार 304 किलोमीटर दूरी पर होगा, लेकिन अमावस्या की स्थिति होने के कारण यह दिनभर चमकदार सूर्य के साथ रहेगा इसलिए रात होने पर चंद्रमा पास होकर भी नहीं दिखेगा। चंद्रमा एक अंडाकार पथ पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है, इसलिए चंद्र माह के दौरान पृथ्वी से इसकी दूरी बदलती रहती है। पृथ्वी के निकटतम बिंदु को पेरिजी कहा जाता है और सबसे दूर के बिंदु को अपोजी कहा जाता है।
सारिका ने बताया कि किसी पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो इसे सुपर फुल मून कहा जाता है। यह माइक्रोमून की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत चमकीला दिखता है, लेकिन किसी अमावस्या पर चंद्रमा जब पृथ्वी के निकटतम बिंदु के पास होता है तो इसे सुपर न्यू मून के रूप में जाना जाता है। शुक्रवार 9 फरवरी को सुपर न्यू मून होने जा रहा है। यह खाली आंखों से दिखाई नहीं देता है। दिन के आकाश में चमकते सूर्य के साथ सहयात्री के रूप में चलते हुए आप काले सुपर न्यू मून को महसूस कीजिए और याद रखिए कि अमावस्या पर चंद्रमा रात में नहीं, दिन भर सूर्य के साथ रहता है।