ग्वालियर (हि.स.)। माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी बुधवार को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने शुक्रवार को बताया कि शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं। इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था।
मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बसंत पंचमी पर रवि योग भी रहेगा। यह योग स्वर्ण की खरीदी और नवीन प्रतिष्ठान के शुभारंभ के लिए विशेष माना गया है। इस दिन विवाह सहित शुभ कार्य बिना किसी मुहुर्त देखे किए जा सकते हैं।
बसंत पंचमी पर क्यों होता है अबूझ मुहूर्त: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बसंत पंचमी के पूरे दिन दोषरहित श्रेष्ठ योग रहता है। इसके अलावा इस दिन रवि योग का भी शुभ संयोग बनता है। शास्त्रों के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव और पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था और उनके विवाह की रस्में शुरू हुई थीं। इस दृष्टि से भी शादी के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से हो रही है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दिन पूजा के लिए करीब 5 घंटे 35 मिनट तक का समय है।