वर्तमान समय में भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में हैं। 13 फरवरी 2024 तक वे शनि की प्रथम राशि मकर में रहेंगे, उसके उपरांत में शनि की दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। पिता के पास होने के कारण शनि के प्रभाव में बहुत सारे परिवर्तन होंगे। उन परिवर्तनों पर एक अलग लेख प्रकाशित हुआ है, जिसे यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है। इन लेखों को पढ़ने के बाद आप में से कई पाठकों ने मुझसे जानना चाहा कि शनि की साढ़ेसाती क्या होती है? वर्तमान समय में किस राशि पर कब तक रहेगी?
ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न आवश्यकता के अनुसार कई कुंडलियां बनाई जाती हैं। जैसे विवाह आदि के बारे में देखने के लिए नवांश कुंडली, सामान्य रूप से लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली आदि। भविष्यफल कथन में सभी तरह की कुंडलियों का अलग-अलग महत्व है। शनि की साढ़ेसाती का पता करने के लिए चंद्र कुंडली का सहारा लिया जाता है। जातक की कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में होता है, उस राशि से एक राशि पहले और एक राशि बाद तक जब शनि का गोचर होता है उस समयावधि में जातक पर साढ़ेसाती का प्रभाव होता है।
उदाहरण के रूप में अगर किसी व्यक्ति की मकर राशि है तो चंद्रमा जब धनु राशि में प्रवेश करेगा तब उसे व्यक्ति के ऊपर साढ़ेसाती का प्रभाव प्रारंभ हो जाएगा। धनु राशि के बाद मकर राशि और उसके उपरांत कुंभ राशि में शनि का गोचर होने तक साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। जब शनि कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेगा, तब जाकर व्यक्ति को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी। शनि एक राशि में ढाई वर्ष गोचर करता है। इस प्रकार तीन राशियों की कुल अवधि साढे सात साल की होती है, अतः इसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं की चंद्र राशि से गोचर में जब शनि द्वादश, प्रथम और द्वितीय स्थान में भ्रमण करता है तो साढे सात वर्ष के समय को शनि की साढ़ेसाती कहते हैं।
सामान्य भारतीय जनमानस में यह धारणा प्रचलित है की शनि की साढ़ेसाती कष्ट कारक होती है। परंतु ऐसा हमेशा नहीं होता है, शनि की साढ़ेसाती आपके लिए कैसी होगी यह पता करना अत्यंत उत्कृष्ट ज्योतिषी का कार्य है। सामान्य ज्योतिषी कभी भी इस बात का आकलन नहीं कर सकते हैं की साढ़ेसाती आपके लिए कब से कब तक अच्छी या बुरी रहेगी। इस बात की पूरी संभावना है कि जातक के लिए साढ़ेसाती पहले ढाई साल या दूसरे ढाई साल या तीसरे ढाई साल या 5 साल या 7.5 साल अच्छी या खराब हो। एक ही राशि के दो व्यक्तियों के लिए इसके फल अलग-अलग होंगे।
साढ़ेसाती के फल के लिए पूरी कुंडली का विश्लेषण करना अनिवार्य होता है। अधिकतर जातकों की उम्र 120 साल से कम रहती है। अतः शनि की साढ़ेसाती किसी भी व्यक्ति के जीवन काल में कुल तीन बार आ सकती है।
शनि के प्रथम चक्र की साढ़ेसाती में जातक को शारीरिक कष्ट और उसके माता-पिता को पीड़ा हो सकती है। इस समय जातक की उम्र कम होती है इसलिए पीड़ा सहन करने की क्षमता ज्यादा होती है। जातक को पीड़ा कम महसूस होती है।
द्वितीय आवृत्ति में शनि अपेक्षाकृत मध्यम प्रभाव डालता है। इस अवधि में जातक को उन्नति के लिए उसको अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता है, मानसिक अशांत झेलना पड़ता है और माता-पिता तथा बुजुर्गों का वियोग सहना करना पड़ता है।
तृतीय चक्र की साढ़ेसाती में शनि अनेक कठोर फल देता है। अगर मारकेश की दशा चल रही हो तो जातक की मृत्यु निश्चित है।
साढ़ेसाती की प्रथम ढैया में शनि चंद्रमा से 12 में भाव में भ्रमण करता है तथा उसकी दूसरे छठे और 9वें भावों पर पूर्ण दृष्टि होती है। इस समय शनि का निवास सिर पर होता है। जातक को नेत्र व्याधि अचानक आर्थिक हानि परिवार में अशांति आदि हो सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति ठीक है तो आपको अत्यधिक धन लाभ परिवार में मंगल कार्य आदि होगा।
साढ़ेसाती की द्वितीय ढैया में शनि चंद्र राशि पर भ्रमण करता है। वह तीसरे सांतवें और दसवें भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है। शनि इस ढ़ैया में शरीर के उदर भाग में रहता है। अतः शरीर के संपूर्ण मध्य भाग में रोग संभव है। बुद्धि का काम करना रुक सकता है। गलत निर्णय होते हैं। व्यापार में साझेदार से विवाद होता है। पत्नी को शारीरिक कष्ट होता है। आर्थिक चिंताएं बनी रहती है। परंतु अगर शनि की स्थिति आपकी कुंडली में अच्छी है तो यह सभी प्रभाव उलट जाएंगे। अर्थात आपका बुद्धि तेजी के साथ काम करेगी। आप सही निर्णय लेंगे। व्यापार में साझेदार बनेंगे और लाभ ही लाभ होगा।
साढ़ेसाती की तृतीय ढैया में शनि चंद्र राशि से दूसरे भाव में भ्रमण करता है। उसकी दृष्टि चौथे आठवें और 11 वें भाव पर पूर्ण दृष्ट होती है। उतरती साडेसाती में शनि पैरों पर रहता है। अतः इस अवधि में पैरों में विशेष रूप से कष्ट होता है। शारीरिक रूप से निर्बलता आती है। शरीर में आलस्य रहता है। व्यर्थ के विवाद होते हैं। अगर मारकेश की दशा चल रही है तो मृत्यु भी संभव है। परंतु अगर शनि की स्थिति जातक के कुंडली में अच्छी है तो यह फल बदल जाएंगे।
वर्तमान समय में साढ़ेसाती की अवधि निम्नानुसार
मकर राशि
मकर राशि के जातक के कुंडली में शनि धनु राशि में 26 जनवरी 2017 को प्रवेश किया था। बीच में कुछ अंतराल के बाद 21 जून 2017 से 25 अक्टूबर 2017 तक वह पुनः वृश्चिक राशि में चला गया था। 26 अक्टूबर 2017 से अब तक लगातार शनि की साढ़ेसाती मकर राशि वाले जातकों पर चल रही है और यह 29 मार्च 2025 तक रहेगी। मकर राशि के जातकों के लिए इस समय साढ़ेसाती उतरती हुई है और पैर पर चांदी के पद पर रहेगी। चांदी के पद पर होने के कारण कष्ट कम रहेंगे तथा लाभ ज्यादा रहेगा।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए 24 जनवरी 2020 से साढ़ेसाती प्रारंभ हुई थी जो 29 अप्रैल 2022 तक रही। शनि के वक्री हो जाने के कारण शनि धनु राशि में चला गया। 12 जुलाई 2022 से कुंभ राशि वालों की साढ़ेसाती पुनः प्रारंभ हुई। प्रथम पद की साढ़ेसाती 17 जनवरी 2023 को समाप्त हो गई। वर्तमान में द्वितीय पद की साढ़ेसाती चल रही है जो की 29 मार्च 2025 तक रहेगी। तृतीय पद की साढ़ेसाती 29 मार्च 2025 से 23 मार्च 2028 रहेगी। कुंभ राशि के जातकों पर वर्तमान में चल रही साढ़ेसाती का प्रभाव स्वर्ण पद से हृदय पर होगा जो कि सामान्यतया सुख प्रदान करने वाला है। परंतु इसका निर्णय पूरी कुंडली को देखे बगैर नहीं किया जा सकता है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती 29 अप्रैल 2022 से प्रारंभ हुई है और यह 8 अगस्त 2029 को समाप्त होगी। वर्तमान में मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव लोह पद से सिर पर रहेगा। जिससे पित्त विकार, आर्थिक हानि, मित्रों में मतभेद आदि संभव है। कुंडली के अगर शनि की स्थिति अच्छी है तो यह प्रभाव उलट सकते हैं।
उपाय
साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय हैं। कुछ उपाय का उपयोग आप बगैर किसी से पूछे कर सकते हैं, जैसे कि शनिवार का व्रत रखना, शनिवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर पूजा करना, शनि की पूजा करना, पीपल की परिक्रमा करना, उड़द-तेल आदि का दान देना। यह उपाय बहुत कम असर डालते हैं, परंतु इन उपायों से कोई नुकसान नहीं होता है।
कुछ उपाय ऐसे हैं जो तेज असर डालते हैं, परंतु इनका उपयोग किसी योग्य ज्योतिषी से दिखाकर ही करना चाहिए। जैसे नीलम पहनना तांत्रिक पूजा करना आदि। शनि की ढैया के लिए भी इन्हीं उपायों का प्रयोग किया जाता है।