उज्जैन (हि.स.)। सूर्य ग्रहण सोमवार को है लेकिन यह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए इसका सूतक भी नहीं माना गया है लेकिन इसका असर विश्वव्यापी देखने को मिलेगा। विश्व में युद्ध के हालात बनेंगे। भारत की भी अपने पड़ोसी देशों से सीमा पर झड़प हो सकती है। सूर्य ग्रहण के असर से जून माह तक हालात बहुत ही परिवर्तनशील होंगे।
भारतीय नव वर्ष चैत्र प्रतिपदा के एक दिन पूर्व 8 अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण देश और दुनिया के लिए बड़ी प्राकृतिक व मानवीय त्रासदी लेकर आ रहा है, ऐसा ग्रहों के आधार पर कहा जा रहा है। ज्योतिष में शुभ नहीं माना जाने वाला खप्पर योग वर्तमान में प्रभावशील है। यह 23 अप्रैल तक अपना कुप्रभाव दिखाएगा। इसी के साथ शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ में दो परस्पर विरोधी व शत्रु माने जाने वाले ग्रहों शनि और मंगल की वक्र युति बनी हुई है। यह भी 23 अप्रैल तक अपना कुप्रभाव दिखायेगी। आने वाली 30 मई तक गोचर में लगभग सभी ग्रहों के लगातार तेजी से बदलाव देखने को मिलेंगे।
यहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
सोमवती अमावस्या का पूर्ण सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका, अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, कनाडा, मेक्सिको आदि स्थानों पर दिखाई देगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि 9.12 बजे से मध्यरात्रि 2.22 बजे के मध्य होगा। अत: भारत में दिखाई न देने के कारण यहां इसकी धार्मिक मान्यता नहीं होगी और सूतक नहीं होंगे। लेकिन खगोलीय घटना होने के कारण आंशिक प्रभाव होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
यह होंगी खगोलीय घटनाएं
ज्योतिष विचारक योगेंद्र माथुर ने दावा किया कि खगोलीय स्थिति के अध्ययन और विश्लेषण के अनुसार 13 अप्रैल को सूर्य, मीन राशि से अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश कर जाएंगे। मीन राशि में राहु के साथ बना ग्रहण योग समाप्त हो जाएगा लेकिन इस बीच वक्री बुध 9 अप्रैल की रात्रि अपनी नीच की मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और 25 अप्रैल को मार्गी होकर पुन: अपनी शत्रु राशि मेष में लौटेंगे। 23 अप्रैल को मंगल का भी जल तत्व की राशि मीन में प्रवेश हो जाएगा,जहां वे राहु के साथ ज्योतिष के एक अशुभ अंगारक योग का निर्माण करेंगे। यह योग 1 जून की दोपहर तक बना रहेगा और देश दुनिया में अपना कुप्रभाव दिखाएगा।
उन्होंने बताया कि मीन राशि में शुक्र पहले से ही विद्यमान है, जो 24 अप्रैल तक यहीं रहेंगे और राहु-मंगल-बुध के साथ कुछ समय के लिए चतुर्ग्रही योग का निर्माण करेंगे। 23 अप्रैल तक कुंभ राशि में शनि मंगल की युति रहेगी। शनि की तीसरी नीच दृष्टि मंगल की मेष राशि पर पड़ेगी, जहां देवगुरु बृहस्पति विद्यमान है। 13 अप्रैल को वहां सूर्य का प्रवेश हो जाएगा। शनि की दसवीं दृष्टि भी मंगल की ही वृश्चिक राशि पर पड़ेगी। केतु व चंद्र को छोड़कर अन्य सभी महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर कुंभ से मेष राशि के बीच हो रहा है।
ज्योतिष विचारक के मुताबिक चंद्र का गोचर 4 अप्रैल से 11 अप्रैल तक इन्हीं राशियों में रहेगा। जल तत्व की राशि मीन में सूर्य ग्रहण,अंगारक योग व चतुर्ग्रही योग बनने से जल तत्व अत्यधिक होगा। अति वृष्टि, सुनामी,जल प्लावन और अनावृष्टि पूरी दुनिया में देखने को मिलेगी। मंगल व शनि भूमि भवन के कारक हैं अत: बड़े भूकंप की आशंका रहेगी। 11 अप्रैल को मंगल व शनि कुंभ राशि में लगभग समान अंश की स्थिति में होंगे। अत: यह समय विशेष सतर्कता व सावधानी रखने का होगा। तेल के कुंओं में आग लगने, ज्वालामुखी भड़काने, अंतरिक्ष में कोई सैटलाइट दुर्घटनाग्रस्त होने या प्लेन दुर्घटना होने जैसे प्रभाव दिखेंगे।
सरकार व न्यायपालिका के किसी बड़े निर्णय अथवा कानून निर्माण को लेकर सरकार व जनता के बीच और न्यायपालिका व कार्यपालिका के बीच बड़े मतभेद उभर सकते हैं। शनि के गुरु के नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद में गोचर और तीसरी नीच दृष्टि मेष राशि में स्थित गुरु पर होने से कट्टरता व धार्मिक उन्माद भी तेजी से बढ़ेेगा। शेयर बाजार में बड़ा परिवर्तन होगा। बुध व राहु वायु के कारक हैं। जल तत्व की राशि में इन दोनों की युति बनने से आंधी, व चक्रवात की अधिकता रहेगी। एक ही राशि में चार या इससे अधिक ग्रहों के एकत्र होने से कई बार युद्ध की स्थिति बनती है।
माथुर ने दावा किया कि अधिकांश ग्रहों के एक ही कोण में आ जाने से इसकी संभावना अधिक बढ़ जाती है। आगामी दिनों में विभिन्न देशों के बीच परस्पर युद्ध के नए मोर्चे खुलने और वर्तमान में चल रहे संघर्ष के भीषण होने की संभावना है। भारत भी इस ग्रह स्थिति से अछूता नहीं रहेगा। भारत का पड़ोसी देशों पाकिस्तान व चीन के साथ तनाव बनने की संभावना है। छोटा युद्ध या बड़ी झड़प भी हो सकती है। उत्तर पूर्व की दिशा व पश्चिम की ओर से अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।