Tuesday, November 26, 2024
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MP Nursing Scam: सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज बर्खास्त, अब तक 23 पर एफआईआर

भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले की जांच टीम में शामिल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निरीक्षक राहुल राज को 10 लाख रुपये की रिश्वत के साथ पकड़े जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया है। सीबीआई मुख्यालय द्वारा बुधवार को संविधान के अनुच्छेद 311 की शक्तियों का उपयोग करते हुए निलंबन की जगह सीधे बर्खास्त किया गया है।

इसी मामले में गिरफ्तार सीबीआई से अटैच मप्र पुलिस के निरीक्षक सुशील कुमार मजोका को भी पुलिस मुख्यालय ने बुधवार को निलंबित कर दिया है। मजोका को नवंबर 2023 में सीबीआई के सहयोग के लिए अटैच किया गया था। साथ ही मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ निरीक्षक ऋषीकांत असाटी की सेवाएं भी सीबीआई ने राज्य सरकार को वापस कर दी हैं। असाटी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) से सीबीआई में लगभग सात वर्ष से जमे थे। असाटी भी राहुल राज के साथ नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर रहे थे। सीबीआई की एफआईआर में वह चौथे नंबर के आरोपित हैं, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। पहले नंबर के आरोपित सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद का भी तबादला कर दिया गया है, हालांकि गिरफ्तारी नहीं होने के कारण उन्हें निलंबित नहीं किया गया है।

इनके अतिरिक्त विशेषज्ञ के तौर पर जांच टीम में काम कर रहे नर्सिंग अधिकारियों और कॉलेजों की नाप करने वाले पटवारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नर्सिंग अधिकारियों को 20 हजार से 50 हजार और पटवारियों को पांच से 20 हजार रुपये तक हिस्सा रिश्वत में मिलने की बात सामने आई है। मामले में अभी तक कुल 13 आरोपितों की गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तार 13 आरोपितों से पूछताछ के बाद सीबीआई अन्य आरोपितों के नाम जोड़ सकती है।

राहुल राज ने व्यापमं मामले की जांच भी की थी

राहुल राज लगभग आठ वर्ष सीबीआई भोपाल में पदस्थ रहे। सीबीआई में उप निरीक्षक के पद पर भर्ती होने के बाद यहीं पर पदोन्नत होकर निरीक्षक बने। व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच में भी वह शामिल थे। नर्सिंग कॉलेज रिश्वतकांड में उनकी मुख्य भूमिका थी। दो मुख्य दलालों के माध्यम से प्रदेश भर के नर्सिंग कालेजों का रिश्वत लेने-देने के लिए नेटवर्क बन गया था। इससे साफ है कि रिश्वत का खेल कम से कम तीन माह से चल रहा होगा। मई में 15 से 16 लाख रुपये लेन-देन के कई मामलों की सूचना सीबीआइ को मिली थी।

11 टीमें कर रही थीं नर्सिंग कॉलेजों की जांच

बतादें कि मप्र उच्च न्यायालय के निर्देश पर सात मुख्य और चार सहयोगी टीमें नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर रही थीं। बिना मापदंड पूरा किए कॉलेजों के संचालन को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई में उच्च न्यायालय ने 364 कॉलेजों की जांच करने के लिए कहा था। सीबीआई इनमें 350 कॉलेजों की जांच कर चुकी है, जिनमें 318 की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जा चुकी है। इन 318 में से 169 कॉलेजों को सीबीआई ने मापदंड के अनुसार संचालित बताया है। इस आधार पर नर्सिंग काउंसिल ने उनकी मान्यता बहाल कर दी है।

सीबीआई ने अब तक जिन 169 कॉलेजों के पक्ष में रिपोर्ट दी है, उनमें 132 जीएनएम और बाकी में बीएससी नर्सिंग कोर्स संचालित हो रहे थे। जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) कोर्स वालों में सर्वाधिक 30 कॉलेज भोपाल के हैं, जिन्हें उपयुक्त बताया गया है। इस आधार पर इनकी मान्यता भी जारी कर दी गई है। मलय कॉलेज आफ नर्सिंग भी इनमें शामिल है, जिसके चेयरमैन व डायरेक्टर को सीबीआई ने रिश्वत देते हुए गिरफ्तार किया था। मामले में अभी तक कुल 23 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

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