कैथल (हि. स.)। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत रखता है, उसे सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से और निर्जला उपवास रखने से विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के ज्योतिषाचार्य पं. रामराज कौशिक बताया कि पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून सुबह 4:43 पर शुरू हो रही है। इसका समापन 18 जून सुबह 06:24 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 18 जून 2024 को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा।
इस व्रत का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत करने से सालभर की एकादशी का पुण्य मिल जाता है। महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी पर व्रत किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी पर पूरे दिन पानी नहीं पिया जाता।
व्रत रखने से मिलता है सभी एकादशियों का पुण्य
पंडित जी के अनुसार स्कंद पुराण के विष्णु खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। यही कारण है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। पौराणिक शास्त्रों में इसे भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस व्रत में जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। व्रत के पूर्ण हो जाने के बाद ही जल ग्रहण करने का विधान है। ज्येष्ठ माह में बिना जल के रहना बहुत बड़ी बात होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत को रखता है उसे सालभर में पड़ने वाली समस्त एकादशी व्रत के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। इस व्रत करने वालों को जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत एकादशी तिथि के रखा जाता है और अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के दिन व्रत पारण विधि-विधान से किया जाता है।
निर्जला एकादशी पर बन रहे शुभ योग
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून सुबह 4:43 पर शुरू हो रही है। इसका समापन 18 जून सुबह 06:24 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 18 जून 2024 को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस साल निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। शिव योग दिनभर रहकर रात 9:39 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। इसके साथ ही दोपहर में 3:56 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 5:24 मिनट तक त्रिपुष्कर योग है।