समीर द्विवेदी ‘नितान्त’
कन्नौज, उत्तर प्रदेश
लाख रोंका न रूक सके आंसू
दर्द के साथ बह चले आंसू
तुम को देखा मचल उठे आंसू
हाले दिल ना छुपा सके आंसू
मेरी आंखों से जो बहे आंसू
कैसे कह दूं वो किस के थे आंसू
चोट तो मेरे दिल ने खाई थी
आंख ने क्यों बहा दिए आंसू
जब कोई पोंछने नहीं आया
कितने मायूस हो उठे आंसू
मौन रह डबडबाई आंखों से
दास्तां सारी कह गए आंसू