Sunday, November 3, 2024
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भारतीय शोधकर्ताओं ने खोजी कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करने की एक नई विधि

भारतीय शोधकर्ताओं ने पूर्व में रिपोर्ट की गई कठोर तापीय स्थितियों के विपरीत, परिवेशीय प्रतिक्रिया स्थितियों में कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करने की एक नई विधि खोजी है। सीओ2 का उपयोग करके उन्होंने हरित दृष्टिकोण के माध्यम से एमाइन को विषम चक्रीय योगिकों (हेट्रोसायकल्स), औषधियों (फार्मास्यूटिकल्स) और जैव-सक्रिय यौगिकों के संश्लेषण के लिए उपयोगी एन-फॉर्मामाइड्स में परिवर्तित किया है।

वायुमंडल में बढ़ती ग्रीनहाउस गैसों के समाधान के रूप में कार्बन का संग्रहण (कैप्चर) और उपयोग (सीसीयू) अधिक से अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। संश्लेषित नैनोमटेरियल्स के एक वर्ग पॉलीऑक्सोमेटालेट्स (पीओएम), जिसमें साझा ऑक्सीजन परमाणुओं  द्वारा एक साथ जुड़े तीन या अधिक संक्रमण धातु शामिल हैं, सीओ 2 के ऐसे प्रकाशिक उत्प्रेरण (फोटोकैटलिटिक)  वाले रूपांतरण में सुधार के लिए आशाजनक प्रत्याशी हैं जो सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है।

वे उच्च दक्षता वाली उत्प्रेरक साइटें प्रदान करते हैं और असाधारण तापीय स्थिरता, अपचयन (रेडॉक्स) क्षमता और अर्धचालक (सेमी-कंडक्टर) जैसे गुणों का भी  प्रदर्शन करते हैं। फोटोकैटलिस्ट के रूप में पॉलीऑक्सोमेटालेट्स (पीओएम),  का उपयोग करने से कई लाभ  मिलते हैं। विभिन्न संक्रमण धातुओं (ट्रांजीशन मेटल्स) को शामिल करके उनके प्रकाश अवशोषण (लाइट ऐब्जोर्पशन) गुणों को सूक्ष्मता से समायोजित किया जा सकता है। वह रहस्य जो उन्हें फोटोकैटलिटिक रूपांतरण के लिए अभ्यर्थी  बनाता है, वह उनके त्वरित (क्विक) और प्रतिवर्ती (रिवर्सिबल) बहु-इलेक्ट्रॉनीय स्थानांतरण (मल्टीइलेक्ट्रॉन ट्रांसफर) के गुण हैं। हालाँकि, पहले अधिकांश फोटोकैटलिटिक रूपांतरण अत्यधिक विषम परिस्थितियों में किए गए हैं और वैज्ञानिक सामान्य परिस्थितियों में ऐसे रूपांतरण करने के लिए उचित समाधान की तलाश में हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक संस्थान, नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी-आईएनएसटी) मोहाली के शोधकर्ताओं ने दो नए केगिन पीओएम-आधारित ठोस पदार्थों- (C5H7N2)5[CoW12O40] (PS-96) और (C5H7N2)5 [CuW12O40] (PS-97), [C5H7N2 = 4-एमिनोपाइरीडीन] की खोज की है जिसमें से बाद वाले को अपचयन कम करने वाले (रिड्युसिंग) एजेंट के रूप में फिनाइल सिलेन का उपयोग करके सीओ2 के साथ विभिन्न प्रतिस्थापित (सब्स्टिट्यूटेड) एनिलिन और मॉर्फोलिन के ऐसे कुशल और फोटोकैटलिटिक एन-फॉर्माइलेशन के लिए सक्रिय पाया गया, जो परिवेशीय परिस्थितियों में कार्य करता है। उन्होंने पाया कि उत्प्रेरक का बैंड गैप 1.43 ईवी eV पर अत्यधिक कम था। इस गुण ने उनसे विशेष रूप से दृश्य क्षेत्र में पीओएम की प्रकाशिक उत्प्रेरण  (फोटोकैटलिटिक) गतिविधि की जांच करने का आग्रह किया।

डॉ. सुमन लता जैन, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) देहरादून ने आईएनएसटी शोधकर्ताओं (डॉ. मोनिका सिंह, पारुल सूद और अन्य) के सहयोग से काम करते हुए यह पाया कि एन-फॉर्माइलेशन प्रतिक्रिया में, पीओएम सीओ2 अणु को सक्रिय करके और बढ़ावा देकर सीओ2 और एमाइन सब्सट्रेट के साथ इसकी प्रतिक्रिया को फॉर्मामाइड व्युत्पन्नों (डेरिवेटिव्स) में परिवर्तित कर सकते हैं। फोटोकैटलिटिक गतिविधि प्रदर्शित करने वाले पीओएम प्रकाश विकिरण के अंतर्गत रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू और तेज कर सकते हैं। यह गुण कार्बन डाइऑक्साइड उपयोग के संदर्भ में विशेष रूप से लाभकारी है।

प्रकाशिक उत्प्रेरक (फोटोकैटलिस्ट) के रूप में पॉलीऑक्सोमेटालेट्स (पीओएम), का उपयोग स्टोइकोमेट्रिक अभिकर्मकों (रीएजेन्ट्स) की आवश्यकता को कम करके और एक अभिकारक के रूप में सीओ2 (एक ग्रीनहाउस गैस) का उपयोग करते हुए अपशिष्ट को कम करके हरित रसायन विज्ञान सिद्धांतों के साथ संरेखित (एलाइन) होता है। यह अधिक टिकाऊ रासायनिक प्रक्रियाओं में योगदान देता है। इसके अलावा फोटोकैटलिस्ट के रूप में पीओएम आसानी से उपलब्ध हैं और लागत प्रभावी सामग्री भी हैं।

जर्नल ऑफ मटेरियल केमिस्ट्री ए (https://doi.org/10.1039/D4TA02432J) में प्रकाशित यह शोध सीओ2 का उपयोग करके अमाइन के फोटोकैटलिटिक एन-फॉर्माइलेशन में पीओएम-आधारित मिश्रित (हाइब्रिड) ठोस पदार्थों की जांच के लिए रास्ता खोलता है।

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