लखनऊ (हि.स.)। पिछले सप्ताह बिहार के प्रमुख सचिव ऊर्जा के यहां ईडी की रेड में स्मार्ट मीटर कंपनियों द्वारा मर्सिडीज कार गिफ्ट दिये जाने का खुलासा हुआ है। इसको लेकर उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उप्र में स्मार्ट मीटर कंपनियों की जांच किये जाने की मांग की है। इसके साथ ही कहा है कि उप्र में भी कोई न कोई खेल है।
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर टेंडर की उच्च दरें, चीनी जीटीपी, बिना आईटी क्लीयरेंस के मीटर लगाना मीटर निर्माता कंपनियों की बैंक गारंटी को 10 प्रतिशत से सीधे तीन प्रतिशत कर देना आदि पर उपभोक्ता परिषद लगातार सवाल उठा रहा है। जहां पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं वही गुजरात और महाराष्ट्र में विद्युत उपभोक्ताओं के यहां अभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर वहां की सरकार द्वारा रोक लगाई गई है, क्योंकि उपभोक्ता इस बात का विरोध कर रहे थे कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर ठीक से काम नहीं कर रहा हो तेज चल रहा है।
वहीं दूसरी ओर पिछले सप्ताह बिहार में 1997 बैच के आईएएस ऑफिसर संजीव हंस जो प्रमुख सचिव ऊर्जा के साथ-साथ बिहार बिजली कंपनियों के सीएमडी भी है के यहां किसी मामले में ईडी ने छापे डालें। उसमें पता चला कि संजीव हंस की सख्ती की वजह से बिहार में प्रीपेड मीटर की इतनी डिमांड बढाई गई की मीटर वालों ने उन्हें एक मर्सिडीज कार गिफ्ट कर दी। अब सवाल यह उठता है कि बिहार में जो कंपनियां मीटर लगा रही है, उसमें से कुछ कंपनियां उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही है, जिस प्रकार से स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों की विश्वसनीयता सामने आ रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार व प्रदेश के मुख्यमंत्री से उपभोक्ता परिषद या पुरजोर मांग उठाते हैं। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का जो काम है। वह लगभग 25000 करोड से ऊपर का है। उत्तर प्रदेश में भी तो यह मीटर कंपनियां कोई खेल तो नहीं कर रही है ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को और केंद्रीय जांच एजेंसी को उत्तर प्रदेश पर भी खास नजर रखना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद लंबे समय से उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करने की मांग लगातार उठा रहा है, क्योंकि भारत सरकार द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर का जो बेस रेट रुपया 6000 प्रति मीटर तय किया गया था। उत्तर प्रदेश में उससे कहीं ज्यादा रुपया 8000 से ऊपर प्रति मीटर की खरीद की गई है आज भी यदि इसको चेक कराया जाए तो इसमें ज्यादातर चीनी कंपोनेंट के मीटर मैं लगे हैं लेकिन उसे कोई देखने वाला नहीं है जो अपने आप में बडा सवाल उठता है।