Thursday, September 19, 2024
Homeआस्थाआस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी बनी भगवान महाकाल की सवारी

आस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी बनी भगवान महाकाल की सवारी

उज्जैन (हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में सावन मास के तीसरे सोमवार शाम को भगवान महाकाल की तीसरी सवारी आस्था, उत्साह और उमंग के साथ निकाली गई। इस दौरान भगवान महाकाल ने तीन स्वरूप में दर्शन दिए। बाबा महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर के रूप में, हाथी पर मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर शिव-तांडव स्वरूप में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी प्रजा का हाल जाना। इस दौरान 1500 डमरू वादकों ने एक साल डमरू बजाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया।

सवारी निकलने के पूर्व दोपहर साढ़े तीन बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान महाकाल का उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विधिवत पूजन-अर्चन किया और सवारी में शामिल हुए। इस अवसर पर विधायक सतीश मालवीय व महेश परमार, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

पूजन के पश्चात शाम 4 बजे भगवान महाकाल की पालकी जैसे ही महाकालेश्वर मन्दिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार चंद्रमौलेश्वर को सलामी दी गई। सवारी मार्ग में जगह-जगह खड़े श्रद्धालुओं ने भोले शंभु-भोलेनाथ और अवंतिकानाथ की जय के घोष के साथ भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।

डमरू वादकों के साथ बाबा निकले शिव-तांडव स्वरूप में भ्रमण पर

श्रावण का तीसरा सोमवार उज्जैन के लिए ऐतिहासिक रहा। बाबा महाकाल की सवारी में डमरू वादन की मंगल ध्वनि से भगवान शिव की स्तुति की गई। डमरू वादकों द्वारा एकसाथ लयबद्ध रूप में आकर्षक एवं मनमोहक प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं का मन मोहा। इससे पहले दोपहर में महाकाल लोक के शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने एकसाथ एक समय डमरू वादन कर विश्व कीर्तिमान रचा। बाबा महाकाल के भक्तों ने हर्षोल्लास और उमंग से सवारी में भाग लिया और डमरू वादकों का स्वागत किया।

निमाड़ अंचल के सुप्रसिद्ध काठी नृत्य की अदभुत प्रस्तुति

बाबा महाकाल की सवारी में निमाड़ अंचल के लोकनृत्य काठी की मनमोहक प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। भगवान शंकर और माता गौरा से जुड़ी इस प्रस्तुति ने सभी श्रद्धालुओं का मन मोहा। लोक कलाकारों ने मोरपंख से सजी आकर्षक रंग-बिरंगी वेशभूषा में प्रमुख ढाक वाद्ययंत्र से आकर्षक प्रस्तुति दी। बाबा महाकाल की सवारी के साथ भजन मंडलियां भी उत्साह और उमंग के साथ शिव भजनों की मधुर प्रस्तुति देते हुए चली।

रामघाट पर भगवान महाकाल का इन्द्रदेव ने भी किया जलाभिषेक

भगवान महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मन्दिर से प्रस्थान कर शाम छह बजे जैसे ही रामघाट पर पहुंची, वैसे ही चहुंओर आस्था और श्रद्धा का जन-सैलाब उमड़ पड़ा। श्रावण में अपने सौंदर्य की छटा बिखेरते हुए स्वयं प्रकृति भगवान महाकाल का स्वागत करने के लिए आतुर दिखाई दी। पुजारियों के साथ भगवान का जलाभिषेक वर्षा कर इन्द्रदेव ने भी किया। भगवान महाकाल का पूजन और जलाभिषेक पं. आशीष पुजारी द्वारा कराया गया। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी रामघाट पर भगवान का पूजन किया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद उमेशनाथ महाराज सहित जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

सुगमता से हुए श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन

महाकाल भगवान की सवारी में हजारों की संख्या में भक्त झांझ, मजीरे, ढोल और भगवान का प्रिय वाद्य डमरू बजाते हुए पालकी के साथ उत्साहपूर्वक आराधना करते हुए चले। श्रद्धालुओं ने सुगमतापूर्वक भगवान के दर्शन लाभ लिए। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची, जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।

संबंधित समाचार

ताजा खबर