भोलेनाथ मंद-मंद मुस्करा रहे थे। चैत्र नवरात्रि की तैयारी में अति व्यस्त माता पार्वती का ध्यान अचानक महादेव की ओर गया। मां ने पूछा, “स्वामी, इस मुस्कान का राज?”
“कुछ खास नहीं, देवी। साज-सिंगार का सामान रखने की आपकी तन्मयता देखकर मुस्करा रहा था। आपने सब कुछ तो रख लिया, लेकिन एक अति जरूरी सामग्री रखना भूल गईं।” महादेव बोले।
माता ने तत्क्षण सारी सामग्री पर नजर दौड़ाई और स्वामी से कहा, “सब कुछ तो रख लिया है। अपने पूरे नौ रूपों का सारा साज-सिंगार है। कोई कमी नहीं। आप किस अति जरूरी सामग्री की बात कर रहे हैं?”
भोलेनाथ जोर से हंसे और फिर बोले, “धरती पर इन दिनों कोरोना वायरस फैला है। नौ मास्क मंगा लें नंदी से।”
यह सुनकर माता को भी जोरों से हंसी आ गई। उन्होंने कहा, “आप भी न, मजाक का कोई मौका नहीं छोड़ते। कल लक्ष्मी और सरस्वती भी मजाक कर रही थीं कि सखी दुर्गा बनने जा रही हो धरती पर, कोरोना से बचने के लिए कुछ मास्क रख लेना और आचमन के लिए सैनिटाइजर।”
“ठीक ही तो कहा उन्होंने। सच्ची सहेलियां हैं। आप लोगों का कल्याण करने गईं और बीमार होकर लौटीं तो दिक्कत होगी।” भोलेनाथ मजाकिया लहजे में बोले।
“हूं। लेकिन आप चिंता न करें। मास्क नंदी से मंगवाने की जरूरत नहीं है। भक्तगण माता का पूरा ख्याल रखेंगे। मेरे मुंह पर भी हर दिन बदल-बदल कर मास्क लगा देंगे।” माता ने हंसकर कहा।
“लेकिन मास्क के कारण तो आपका सारा सौंदर्य फीका पड़ जाएगा। पूरा चेहरा नहीं दिखेगा। देखिए न, धरती की सभी देवियां कोरोना के कारण परेशान हैं। उन्हें मजबूरी में मास्क लगाकर घर से निकलना पड़ रहा है। वे कोरोना को जमकर कोस रही हैं कि ये कहां से आ गया निगोड़ा? कुछ दिन और फूलों की होली नहीं खेल पाई! ढोलक की थाप पर थिरक नहीं पाई। शासन ने अलर्ट जारी कर रखा है कि भीड़भाड़ वाली जगहों में मत जाओ। अब न किटी पार्टी में जा सकतीं, न मॉल में खरीदी करने जा सकतीं, न सिनेमा देखने जा सकतीं। सारे कार्यक्रम स्थगित।” भोलेशंकर बोले।
“हां। दिक्कत तो है। बेचारी ब्यूटी पार्लर भी न जा पाती होंगी। क्या पता नवरात्रि में मेरे दर्शन करने भी आएं या फिर घर में ही रहें?” माता ने चिंता जताई।
“देखिए, देवी, अभी तो मंदिरों में भीड़भाड़ पर रोक है। नवरात्रि में क्या स्थिति बनती है, कुछ कह नहीं सकता। लेकिन भक्तगण मास्क लगाकर आपके दर्शन करने जरूर आएंगे। चंद्रमुखियां भी आएंगी। अखबारों में उनकी तस्वीरें छपेंगी। हां, वे मंडली में देवीगीत गाने और थिरने का आनंद शायद न ले पाएं।” भोले बाबा बोले।
“तो कुछ करिए न। आप विषपान कर गए थे, तो फिर ये विषाणु कोरोना किस खेत की मूली? मार भगाइए इसे। मेरे भक्तगण खुशी से नवरात्रि मनाएं। देवियां खूब सज-संवर कर मंदिर आएं, खूब नाचें-गाएं। नौ दिन रौनक रहे। मेरे भी चेहरे पर मास्क न लगने पाए। पूरा चेहरा न दिखा तो क्या दिखा? स्वामी, कुछ कीजिए।” माता ने गंभीरता पूर्वक कहा।
“करूंगा, ताकि आपके मुखड़े पर मास्क न लगे, आपको खूब भक्त मिलें। लाखों की भीड़ हो। बिना भक्तों के आनंद कैसा? सेवक पांव के नीचे न लोटें, जमकर ताली न बजे, पूजा-अर्चना न हो, जयकारा न लगे तो मन बल्ले-बल्ले नहीं करता। लेकिन कुछ तो सजा मिलनी ही चाहिए आदमी को। अति कर दिया आदमी ने।” भोलेनाथ ने कहा।
वे कुछ और बोलने वाले थे, तभी शेषनाग बोल पड़े, “भोलेनाथ, मैंने तो सुना है कि ये कोरोना सांप का सूप पीने से फैला है।”
“हां। चमगादड़ का भी सूप पीया चीन के लोगों ने। तेजी से धरती पर कोरोना वायरस फैल गया। भारत में भी संकट है। असंयमी हो गया मनुष्य।” भोलेनाथ ने मनुष्य पर गुस्सा प्रकट किया।
“फिर भी कुछ करिए, स्वामी। मेरा कार्यक्रम फीका मत कीजिए।” माता ने करबद्ध निवेदन किया।
“करिए पूरे उत्साह से तैयारी। कुछ करता हूं। आपको मायूस नहीं करूंगा। आपको भक्तों से सेवा कराने का पूरा मौका दूंगा। पंडित, पुजारी, नेता, अभिनेता, शायर, कवि, जस गायक, वादक, नर्तक सबका भला करूंगा। वे आपकी सेवा-भक्ति के नाम पर कुछ कमा लेंगे। महीनों से आस लगाए हैं बेचारे। कोरोना ने हाय राम, बड़ा दुख दीनो!” यह कहकर महादेव ने संकट टालने के लिए ध्यान लगा लिया।
माता खुशी-खुशी धरती पर आने की बाकी तैयारी पूरी करने लगीं।
-राजकुमार धर द्विवेदी
वरिष्ठ उप-संपादक,
नईदुनिया, रायपुर