वक्री शनि का क्या पड़ेगा राशियों पर प्रभाव, कैसा होगा आपका आने वाला समय

वर्तमान में शनि 23 मई 2021 के 2:50 बजे दोपहर से मकर राशि में वक्री हुआ है। यह 141 दिन उल्टी चाल चलकर 11 अक्टूबर 2021 को प्रातः 7:48 पर मकर राशि में ही मार्गी होगा। उल्टी चाल के कारण राशियों पर इसके प्रभाव में अत्यधिक परिवर्तन होगा, जो कि राशि के अनुसार बताया जा रहा है।

मेष लग्न
मेष राशि के जातकों में शनि दशम भाव में अपनी ही राशि  मकर में है। यह आपके खर्चों में कमी करेगा । कार्यालय में आप की प्रतिष्ठा को आपके मेहनत के कारण बचायेगा । आप के माता जी के स्वास्थ्य में सुधार करेगा तथा आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में भी असर डालेगा।

वृष लग्न
वृष लग्न के गोचर में वक्री शनि नवम भाव में अपनी ही राशि मकर में है, इसके कारण से माइनिंग के कार्यों से होने वाली आमदनी में कमी आ सकती है। आप के गुस्से में भी कमी आएगी। गुप्त शत्रु बन सकते हैं।

मिथुन लग्न
मिथुन लग्न जातकों के गोचर में शनि अष्टम भाव में है। उसके कारण दुर्घटना होने पर भी होने पर भी आपको किसी प्रकार का कोई चोट नहीं आएगी तथा दुर्घटनाओं में कमी भी आएगी। कार्यालय में आपके मेहनत के कारण आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। पिताजी का स्वास्थ्य नरम गरम हो सकता है।

कर्क लग्न
वर्तमान में शनि कर्क राशि के जातकों के सप्तम भाव में विराजमान हैं और यहां से नवम भाव, लग्न तथा चतुर्थ भाव को देख रहे हैं। आपके जीवन साथी को कुछ परेशानी हो सकती है। भाग्य  सामान्य रहेगा। आपके स्वास्थ्य में भी परेशानी आ सकती है तथा माताजी को कष्ट हो सकता है। आपको या आपके जीवन साथी को नसों का रोग  हो सकता है।

सिंह लग्न
सिंह लग्न के जातकों के गोचर में वर्तमान में शनि छठे भाव में है। शनि की दृष्टि अष्टम भाव द्वादश भाव तथा तृतीय भाव पर रहेगी। शनि के वक्री दृष्टि के कारण शत्रु दबे रहेंगे। यह संभव है कि आप दुर्घटनाओं से बार बार बचें। मुकदमे आदि में आपको सफलता मिलने का योग है। इस प्रकार यह वक्री शनि आपको कई प्रकार के फायदे दिला सकता है।

कन्या लग्न
कन्या लग्न वाले जातकों के पंचम भाव में शनि विराजमान हैं। शनि देव की दृष्टि सप्तम भाव एकादश भाव तथा द्वितीय भाव पर है। अगर आप शिक्षा के क्षेत्र में हैं तो यह अवधि आपके लिए शुभ नहीं है। आपके बच्चों को भी कष्ट हो सकता है। अगर आप व्यापार में हैं तो लाभ में कमी आएगी।

तुला लग्न
तुला लग्न के गोचर में चतुर्थ भाव में है शनि की दृष्टि छठे भाव दशम भाव एवं लग्न पर पड़ेगी। वक्री शनि की  अवधि में आपके शत्रुओं में कमी आएगी तथा शत्रु कमजोर होंगे। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आपके स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। आपकी माता जी को कष्ट हो सकता है। जनता में आपके प्रतिष्ठा में कमी आ सकती है।

वृश्चिक लग्न
वृश्चिक लग्न के जातकों के गोचर में शनि तृतीय भाव में है। शनि की दृष्टि पंचम भाव नवम भाव तथा द्वादश भाव पर है। इस अवधि में भाग्य आपका साथ देगा। छात्रों की शिक्षा में कमी आ सकती है। आपके बच्चों को कष्ट हो सकता है। कचहरी के मुकदमे को टालने की कोशिश करें।

धनु लग्न
धनु लग्न के गोचर में शनि दूसरे भाव में है। वक्री शनि की दृष्टि चतुर्थ भाव अष्टम भाव तथा एकादश भाव पर रहेगी। वक्री शनि के कारण दुर्घटना होने पर भी आपको चोट नहीं आएगी। आपके माताजी को कष्ट हो सकता है। जनता में आपकी प्रतिष्ठा गिरेगी। पैसे की तंगी महसूस होगी।

मकर लग्न
आपके गोचर के लग्न में शनि है जिसके कारण आपको कमर, कंधे, गर्दन या पैर में दर्द हो सकता है। लोगों से वार्तालाप करने में सतर्क रहें। जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। कार्यालय में सावधानी से कार्य करें।

कुंभ लग्न
कुंभ लग्न के जातकों के द्वादश भाव में शनि विराजमान हैं। आप के खर्चे में  वृद्धि होगी, धन लाभ में कमी आएगी। शत्रुओं में वृद्धि होगी। व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी। संयम से काम ले।

मीन लग्न
मीन लग्न के जातकों के एकादश भाव में शनिदेव विराजमान है। इनकी दृष्टि लग्न पर, पंचम भाव पर एवं अष्टम भाव पर होगी। आपका आर्थिक पक्ष कमजोर होगा। आपके आपके स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है। कमर, गर्दन आदि स्थानों पर दर्द बढ़ सकता है। बच्चों से संबंध अच्छे रहेंगे। छात्रों की पढ़ाई अच्छी चलेगी। दुर्घटनाओं से बचें।

Saptahik rashifal

पं अनिल कुमार पाण्डेय
एस्ट्रोसाइंटिस्ट और वास्तु शास्त्री
सागर, मध्य प्रदेश