सनातन धर्म में पौष मास का विशेष महत्व है और इस मास को भगवान सूर्य को समर्पित माना गया है, पौष मास में भगवान विष्णु की आराधना का भी विशेष महत्व है। साथ ही इस मास की छोटा पितृ पक्ष के रूप में भी मान्यता है, इसलिए इस मास में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह परिवारजनों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार पौष मास में भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए और ऐसा करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि पौष मास में भगवान सूर्य का पूजन करने से व्यक्ति को बृद्धि, विद्या और धन के क्षेत्र में लाभ होता है। पौष मास के प्रत्येक रविवार को व्रत करना और भगवान सूर्य की आराधना करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है।
सनातन पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास खत्म होते ही पौष या पूस मास शुरू होता है, जो पंचांग के अनुसार हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष पौष मास बुधवार 27 दिसंबर 2023 से शुरू हो रहा है जो गुरुवार 25 जनवरी 2024 को समाप्त होगा। सनातन धर्म में महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। सनातन पंचांग में मास का परिवर्तन चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को पौष का मास कहा जाता है।
पंचांग के अनुसार सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही पौष मास यानि पूस मास शुरू हो जाता है। ऐसे में सूर्य का प्रभाव धरती पर कम हो जाता है और इस कारण दिन छोटे और रात बड़ी होती है। चूंकि सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति कहा गया है, ऐसे में सूर्य की इस अवस्था का विपरीत असर अन्य ग्रहों और नक्षत्रों पर भी पड़ता है। इसलिए पौष के महीने में सूर्य को मलीन माना गया है और इस महीने को खरमास व मलमास कहा जाता है। इसी वजह से पौष के महीने में सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
पौष मास के प्रमुख व्रत-त्यौहार
शनिवार 30 दिसंबर- संकष्टी चतुर्थी
रविवार 7 जनवरी- सफला एकादशी
मंगलवार 9 जनवरी- मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
गुरुवार 11 जनवरी- पौष अमावस्या
सोमवार 15 जनवरी- मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण
रविवार 21 जनवरी- पौष पुत्रदा एकादशी
मंगलवार 23 जनवरी- प्रदोष व्रत
गुरुवार 25 जनवरी- पौष पूर्णिमा व्रत