दीपावली पांच पर्वों का एक महापर्व: वैज्ञानिक, धार्मिक और आर्थिक महत्व

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री

हम कभी स्वतंत्र हुआ करते थे और हमारे अपने विचार थे। हमारे पूर्वजों ने बहुत शोध करके हमारे जीवन को इस तरह से व्यवस्थित किया था, ताकि हम को कभी कोई शारीरिक कष्ट ना हो। इसका पूरा शास्त्र बनाया जिसे हम आयुर्वेद कहते हैं। हमारे पूर्वजों ने समय-समय पर खाने पीने के लिए विशेष निर्देश दिए। शारीरिक ऊर्जा को मानसिक ऊर्जा में बदलने के लिए व्रत बताए। खुश रहने के लिए त्योहार दिए। इन्हीं में से एक त्योहार दीपावली दीपावली पांच पर्वों का एक महापर्व है, इसका प्रारंभ धनत्रयोदशी से होता है और भाई दूज पर जा कर यह पर्व समाप्त होता है।

कहा जाता है कि दीपावली के दिन ही भगवान राम लंका विजय कर वापस अयोध्या आए थे। उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाए थे। तब से प्रतिवर्ष दीपावली पर्व मनाया जाता है। दीपावली के दिन भगवान राम वापस आए थे, परंतु पूजा हम लक्ष्मी और गणेश की करते हैं। इसका  कारण है कि समुद्र मंथन के समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी। अत: इसी खुशी में दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अब प्रश्न उत्तर उठता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है। हम सभी जानते हैं कि मां लक्ष्मी के कोई संतान नहीं है। माता लक्ष्मी भगवान गणेश को पुत्रवत प्रेम करती हंै। अत: इस दिन माता लक्ष्मी के साथ में भगवान गणेश की पूजा माता लक्ष्मी के संतान के रूप में की जाती है।

अगला प्रश्न है कि दीपावली में प्रसाद के रूप में खील और बतासा क्यों चढ़ाया जाता है। इस प्रश्न का उत्तर है कि खील धान से बनाई जाती है और धान की फसल इसी समय आती है। अत: नई फसल के उपहार स्वरूप माता लक्ष्मी को दीपावली पर्व पर खील चढ़ाया जाता है। कोई भी प्रसाद मगर बगैर मिष्ठान के पूर्ण नहीं होता है, अत:  मिष्ठान की पूर्ति के लिए बतासे भी चढ़ाए जाते हैं।

दीपावली में मिट्टी के दियों का बड़ा महत्व है। उचित भी है दीपावली के दिए वर्षा ऋतु में होने वाले कीट पतंगों को नष्ट करते हैं। दीपावली के दिए हमारे एक वर्ग को रोजगार भी देते हैं। इसी प्रकार पटाखे भी हमारे बीच के कुछ लोगों को रोजगार देते हैं। दीपावली पर हम सभी अपने घर को साफ करते हैं। उन पर नया रंग रोगन लगाते हैं। एक प्रकार से हम अपने घर का वार्षिक रखरखाव करते हैं। व्यापारी गण भी इस दिन से अपना नया बहीखाता प्रारंभ करते हैं। नई फसल के साथ नया बहीखाता उचित प्रतीत होता है।

धार्मिक दृष्टि से हिन्दू वर्ग मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की अधर्म पर विजय पाकर अयोध्या वापसी पर उनके राज तिलक के कारण इसे मनाता है। वहीं सिख समाज इसे बन्दी छोड़, त्योहार के रूप में मनाते है। इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। इसी दिन गुरु हरगोविंद सिंह जेल से मुक्त हुए थे। जैन समाज का स्वामी महावीर के निर्वाण दिवस और बौद्ध धर्म का भगवान बुद्ध के कपिलवस्तु आने सहित हिंदुस्तान के लगभग सभी धर्मों के लोग इस पवित्र त्यौहार को बड़े उत्साह एवं चाव से मनाते हैं।
 
अगर हम ‘आर्थिक’ दृष्टि से देखें तो पाते हैं कि दीपावली के मौके पर लोग मिट्टी के दीये, तेल, मिठाइयां, सजावटी सामान, रंगोली, फूल, मोमबत्ती, कपड़ा, सोना-चांदी, बर्तन, पटाखे आदि चीजों का जहां घरों में प्रयोग करते हैं, वहीं सगे संबंधियों और मित्रों आदि को तोहफे देने के प्रचलन के कारण बड़े स्तर पर खरीदारी भी करते हैं। देश में इस खरीदारी से चलने वाले विशाल आर्थिक चक्कर की वजह से सभी छोटा-बड़ा काम धंधा करने वाले कारीगर, कपड़ा, बर्तन, सुनार आदि तकरीबन हर वर्ग के व्यापारियों का आर्थिक रूप से कल्याण होता है। देश भर के पूरे वर्ष के आर्थिक रूप में दीपावली के दिनों का सबसे ज्यादा योगदान होता है।

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