शिक्षक: सोनल ओमर

यह बात सच है कि शिक्षक हमको शिक्षा देते हैं। वो हमारे गुरु होते है, किंतु सबसे पहला सिखाने वाला गुरु माँ होती है। उसके बाद परिवार, समाज यहाँ तक कि पूरी प्रकृति हमको रोज कुछ-न-कुछ सिखाती है। हम समझ पाते हैं या नहीं यह अलग बात है।

बादल गरजते हैं, पानी बरसाते है, ध्वनि उत्पन्न करते हैं, संगीत निकलता है। प्रकृति हवा, अनाज, औषधि देती है। सूर्य प्रकाश दे रहा है। अद्भुत झरने प्रकृति की हरियाली मन को मोहती है। लेकिन हम उन नामों को याद रखते हैं जो जीवित रूप में आकर हमें समझाते हैं, सिखाते हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि प्रभु द्वारा प्रदत्त प्रकृति में प्रत्येक वस्तु गुरु है जो हमे कुछ भी सिखा रही है। जीवन के हर पहलू में हर वस्तु, हर घटना, हर व्यक्ति से हमें कुछ-न-कुछ सीखने को अवश्य मिलता है बशर्ते हमारी पुस्तकीय निगाहें इन पर पड़े।

तो चलो इस बार इस शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने शिक्षकों के साथ-साथ हम उन सभी का आभार व्यक्त करते हैं जो हमे प्रतिदिन कुछ सिखलाते है।

सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश