ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल और राहु की युति को अंगारक योग कहा जाता है। इस योग के कारण व्यक्ति क्रोधी, हिंसक हो जाता है, साथ ही उसकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती है और वह शांत या स्थिर नहीं रह पाता। इस योग के बनने से व्यक्ति के स्वभाव में काफी अधिक परिवर्तन होता है। जीवन में किसी न किसी दुर्घटना का सामना करने के साथ उस पर शत्रु हावी हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पाण्डेय ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में दूसरे भाव को धन, संपत्ति, भाषा, वाणी और व्यापार का भाव माना जाता है। अगर दूसरे भाव में कर्क राशि हो और उसमें चंद्रमा, राहु और मंगल की युति हो, तो यह युति व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, भाषा, वाणी, और व्यापार के क्षेत्रों में मिश्रित परिणाम दे सकती है। एक सकारात्मक पक्ष यह है कि यह युति व्यक्ति को एक मजबूत संचार कौशल प्रदान कर सकती है। एक नकारात्मक पक्ष यह है कि यह युति व्यक्ति को भावनात्मक रूप से अस्थिर बना सकती है।
कुंडली के तीसरे घर में अंगारक योग बनना रिश्ते पर प्रतिकूल असर डालता है, ऐसे व्यक्ति के भाइयों से संबंध कड़वे रहते हैं। कुंभ राशि वालों के लिए अंगारक योग नुकसानदायक रहने वाला है। इस योग के नकारात्मक प्रभाव से आपको मान-सम्मान की हानि हो सकती है। इस समय आपके किए गए ज्यादातर कार्य सफल नहीं रहेंगे। कुंभ राशि वालों की सेहत भी बिगड़ सकती है।
पंडित अनिल पाण्डेय का कहना है कि अंगारक की योग सामान्यतः सभी राशि वालों को खराब प्रभाव देता है। इसके खराब प्रभाव से बचने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।
उपाय
ॐ अंग अंगारकाय नमः मंत्र का नियमित जाप करें या हनुमान चालीसा का पाठ करें।