चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी को माँ महागौरी की आराधना-उपासना का विधान है। इस बार अष्टमी तिथि शनिवार 9 अप्रैल को पड़ रही है। माँ की शक्ति अमोघ और सद्य: फलदायिनी है। माँ की उपासना से भक्तों को सभी क्लेश धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दु:ख उसके पास कभी नहीं जाते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।
अष्टमी तिथि शुक्रवार 8 अप्रैल को रात 11:05 बजे शुरु होगी और शनिवार 9 अप्रैल को देर रात 1:23 बजे तक रहेगी। इस बार की दुर्गाष्टमी सुकर्मा योग में है। दुर्गाष्टमी के दिन सुकर्मा योग दिन में 11:25 बजे से शुरु हो रहा है, जबकि पुनर्वसु नक्षत्र पूरे दिन है। इस दिन का योग और नक्षत्र मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है। चैत्र शुक्ल अष्टमी की तिथि में रवि योग भी बना हुआ है। इस तिथि में रवि योग 10 अप्रैल को प्रात: 3:31 बजे से शुरु हो रहा है, जो सुबह 6:01 बजे तक है। इस दिन का शुभ समय 11:58 बजे से लेकर दोपहर 12:48 बजे तक है।
माँ महागौरी की चार भुजाएँ हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। माँ महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन, आराधना भक्तों के लिए कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। माँ महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं। इनकी उपासना से आतज़्जनों के असंभव कायज़् भी संभव हो जाते हैं। पुराणों में माँ महागौरी की महिमा को अपरम्पार बताया गया है। माँ मनुष्य की वृत्तियों को सत् की ओर प्रेरित करके असत् का विनाश करती हैं।
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।