Thursday, December 26, 2024
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देवउठनी एकादशी 2024: मंगलवार 12 नवंबर को होगा हरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत और तुलसी विवाह

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। देवउठनी एकादशी का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ शुक्ल एकादशी तिथि को योग निद्रा में चले जाते हैं और चार मास के बाद देवउठनी एकादशी तिथि को निद्रा से जागते हैं, इसलिए आषाढ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक के समय को चातुर्मास भी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन से चातुर्मास भी समाप्त हो जाएगा। कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी एवं हरिप्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं।

कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम जी से एवं विवाह नक्षत्र काल में ही करने का शास्त्र विधान है। तुलसी विवाह के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया मुख्यत: कार्तिक शुक्ल एकादशी व्रत वाले दिन प्रदोष काल में तुलसी विवाह एवं पूजन करने का विधान हैं।

इस वर्ष मंगलवार 12 नवंबर को तुलसी विवाह होगा। मंगलवार 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 05 मिनट पर भद्रा समाप्त होगी, मान्यता है कि भद्राकाल में विवाह नहीं करना चाहिए, इसलिए मंगलवार 12 नवम्बर को शाम 4 बजकर 05 मिनट के बाद तुलसी विवाह शुभ लग्न में करें। तुलसी विवाह का शुभ समय शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक है। हरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत मंगलवार 12 नवंबर को ही रखा जाएगा।

महंत रोहित शास्त्री ने बताया इस दिन तुलसी के पौधे को सजाकर उसके चारों तरफ गन्ने का मंडप बनाना चाहिए। तुलसी जी के पौधे पर चुनरी या ओढ़नी चढ़ानी चाहिए। तुलसी पूजन करते समय (ऊं तुलस्यै नम:) मंत्र जाप करें, दूसरे दिन पुन: तुलसी जी और विष्णु जी की पूजा कर, ब्राह्मण को भोजन करवा कर यजमान खुद भोजन कर व्रत का पारण करना चाहिए। भोजन के पश्चात तुलसी के स्वत: गलकर या टूटकर गिरे हुए पत्तों को खाना शुभ होता है। इस दिन गन्ना, आंवला और बेर का फल खाने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से तुलसी विलक्षण पौधा है, जिस घर में इसकी स्थापना होती है, वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और समृद्धि स्वमेव आती है, इससे वातावारण में स्वच्छता और शुद्धता बढती है, प्रदूषण पर नियंत्रण होता है, आरोग्य में वृद्धि होती है, जैसे अनेक लाभ इससे प्राप्त होते हैं। घर में तुलसी पौधे की उपस्थिति एक वैध के समान है, जो घर में वास्तु दोष को भी दूर करने में सक्षम है। वहीं हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी से मांगलिक और वैवाहिक आयोजन भी आरंभ हो जाते हैं।

हमारे शास्त्र तुलसी के गुणों के बखान से भरे पड़े हैं। जन्म से लेकर मौत तक तुलसी काम आती है। कन्या के विवाह में अगर विलंब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी लगा कर कन्या रोज पूजन करे तो विवाह जल्दी अनुकूल स्थान पर होगा। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के बहुत प्रकार के अलग-अलग पौधे मिलते है जैसे श्री कृष्ण तुलसी, राम तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, श्यामा तुलसी, वन तुलसी, भू तुलसी, रक्त तुलसी आदि।

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