ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
ऐसा देखा जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों से हिंदू धर्म के प्रत्येक त्योहार पर त्योहार की तारीख को लेकर बिना बात का बतंगड़ बना कर विभिन्न चैनल और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में फैलाया जाता है। इसका असर हमारे समाज पर तीज त्योहारों के लिए श्रद्धा का भाव में कमी को लेकर दिखाई पड़ता है। यह यह चाल कुछ ऐसे लोगों को द्वारा चली जाती है, जिनको हिंदू धर्म के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं है परंतु अपना ज्ञान या यूं कहें अपनी दुर्बुद्धि की गंदगी को हिंदू धर्म की मान्यताओं के विपरीत फैलाने का शौक रहता है। ऐसा ही कुछ दुर्बुद्धि इस बार भी रक्षाबंधन 11 को है या 12 को इस संबंध में अपना ज्ञान दे रहे हैं।
आप किसी भी पंचांग में देखें इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 11 तारीख को बताया गया है तथा 12 तारीख को दान देने हेतु कहा गया है। ऐसा हमारे सभी त्योहारों में होता है कि जिस दिन त्यौहार है अगर उस दिन आप दान नहीं दे पाए तो उसके अगले भी आप दान दे सके।
रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी को श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है। भुवन विजय पंचांग के अनुसार इस वर्ष 11 अगस्त को पूर्णमासी प्रातःकाल 9:18 बजे से प्रारंभ हो रही है और 12 तारीख को प्रातःकाल 6:59 तक रहेगी। श्रवण नक्षत्र 11 अगस्त को प्रातःकाल 6:22 बजे से अगले दिन अर्थात 12 अगस्त को प्रातःकाल 4:52 बजे तक है। अतः हम इस बात के लिए विवश है के 11 अगस्त को प्रातःकाल 9:18 से अगले दिन 12 तारीख को प्रातःकाल काल 4:52 के बीच में रक्षाबंधन का पर्व मनाएं।
कलयुग के कुछ महान विद्वानों ने इसमें यह बताया है कि 11 तारीख को 9:23 से प्रारंभ होगी जो कि रात्रि के 8:09 बजे तक रहेगी। भद्राकाल होने के कारण हम इस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मना सकते हैं। इन विद्वानों से मेरा कहना है कि उनके अनुसार 8:09 बजे के बाद तो भद्रा काल बिल्कुल ही नहीं रहेगा, अतः 8:09 के उपरांत रक्षाबंधन का त्यौहार बिल्कुल मनाया जा सकता है।
दूसरी बात यह भी है की 11 अगस्त 2022 की संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा एवं चंद्रमा के मकर राशि में होने से भद्रा का वास इस दिन पाताल लोक में रहेगा। पाताल लोक में भद्रा के रहने से यह अशुभ नहीं है। इसलिए पूरे दिन सभी लोग अपनी सुविधा के अनुसार राखी बांधकर त्यौहार मना सकते हैं।
वहीं मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है, तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है, तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है। भद्रा जिस लोक में रहती है वहीं प्रभावी रहती है।
इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नही। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी, तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी। इसी कारण बस भारतवर्ष के सभी पंचांग में रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाने के लिए कहा गया है तथा 11 अगस्त या 12 अगस्त को आप दान इत्यादि दे सकते हैं। मेरा आप सभी से अनुरोध है त्यौहार मनाए और किसी तरह के भ्रम में ना रहे।
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