सुजाता प्रसाद
शिक्षिका, सनराइज एकेडमी
नई दिल्ली
हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी एवं सप्तमी तिथि को क्रमशः अस्ताचल एवं उदयगामी सूर्य देव को साक्षी मानकर छठ पूजा की जाती है। धरती से जुड़ा जन-मानस का यह त्यौहार प्रकृति को समर्पित एक ऐसी उपासना की पद्धति है, जिसमें जन साधारण द्वारा रचे गये रीति-रिवाजों की प्रमुखता होती है।
यह प्रकृति पूजा पूरी तरह से कृषक और ग्रामीण जीवन पर केंद्रित लोकपर्व है, जिसमें पूजा पाठ के लिए पंडित पुरोहित की बाध्यता नहीं होती है और ना ही किसी विशेष धर्मग्रंथ की आवश्यकता होती है।
एक कठिन तपस्या की भांति व्रती, परिवारजन, लोकजन सभी सामूहिक रूप से परस्पर सहयोग की भावना और सुमधुर लोकगीतों की धुन पर अपनी आस्था की पराकाष्ठा के साथ छठ पूजा संपूर्ण विधि विधान के साथ संपन्न करते हैं। उल्लासपूर्ण माहौल में पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा के लिए किया जाने वाला यह एक महत्वपूर्ण पर्व है।
जिसमें आदि देव सूर्य देवता की पूजा अर्चना की जाती है। पूजा करने के लिए नदियों, तालाबों और रास्तों एवं चौक चौराहों की साफ सफाई की जाती है। उसके बाद सूर्य षष्ठी व्रत यानी छठ पूजन के साथ पूरे परिवार के स्वास्थ्य एवं समृद्धि की मंगल कामना की जाती है।
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोSस्तु ते।।
दरअसल यह पर्व प्रकृति की पूजा का चार दिवसीय भव्य आयोजन है, जिसमें अपने परिवार और संतान के सुखी होने की कामना की जाती है।
पारंपरिक तरीके से छठ पूजा का आरंभ षष्ठी तिथि से दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है, इसके अगले दिन पंचमी को खरना किया जाता है, तीसरे दिन षष्ठी तिथि को पूरे नियम निष्ठा के साथ छठ पर्व का प्रसाद तैयार किया जाता है और स्नानादि करने के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना गया है। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख समृद्धि, शांति तथा संपन्नता प्रदान करती हैं। छठ पर्व के चौथे और आखिरी दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी आराधना की जाती है। इसके बाद पारण करके व्रत का समापन किया जाता है।
इस प्रकार छठ पर्व उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक महान पर्व है। दीपावली के छः दिन बाद विशेष रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
ग्लोबल होती दुनिया में छठ पूजा पूरे भारत के साथ साथ नेपाल, मॉरिशस, फ़िजी आदि देशों में भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। सूर्य देवता की उपासना और षष्ठी माता की आराधना का यह त्योहार धीरे धीरे संपूर्ण विश्व में मनाया जाने लगा है।
फिर भी छठ का त्योहार लोकल फॉर वोकल का सबसे अनोखा उदाहरण है, जिसमें उपयोग में आने वाली सभी सामग्री और चीजें जैसे सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्तन, चटाई, गुड़, आटा, चावल, फल फूल, कंद मूल सब लोकल होते हैं। इस तरह ग्लोबल हुई दुनिया में ग्लोबलाईजेशन से दूर छठ जन सामान्य की उपासना है जिसके केंद्र में ग्राम्य जीवन रचता-बसता है। इसकी छटा अद्भुत होती है।